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राम जन्मभूमि के लिए पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन

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राम मंदिर नींव के प्रथम कारसेवक कामेश्वर चौपाल का निधन

  • वे 68 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली
  • वे विश्व हिंदू परिषद (VHP) से जुड़े रहे और बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रहे। उनकी सहजता और समर्पण के कारण वे समाज के हर वर्ग में लोकप्रिय थे 

नई दिल्ली/अयोध्या – श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नींव की पहली ईंट रखने का गौरव प्राप्त करने वाले प्रथम कारसेवक और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया। वे 68 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।  
राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका-  

बिहार के कमरैल (सुपौल निवासी कामेश्वर चौपाल ने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नींव की पहली ईंट (राम शिला) रखी थी। वे विश्व हिंदू परिषद (VHP) से जुड़े रहे और बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रहे। उनकी सहजता और समर्पण के कारण वे समाज के हर वर्ग में लोकप्रिय थे।  

अयोध्या और रामलला से था गहरा लगाव  

श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास ने उनके निधन को "अपूरणीय क्षति" बताया और कहा कि "उनका जाना करोड़ों रामभक्तों के लिए दुखद है। भगवान श्रीराम उन्हें अपने चरणों में स्थान दें।  

विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने इसे पीड़ादायक बताते हुए कहा, "वे जब भी समय मिलता, अयोध्या आकर रामलला की सेवा में लग जाते। उनका निधन रामभक्तों और विहिप के लिए बहुत दुखद है।  
राम मंदिर आंदोलन में सदैव योगदान 

अयोध्या के प्रथम महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने भी उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, "कामेश्वर चौपाल सच्चे राम भक्त थे। राम मंदिर आंदोलन से लेकर भव्य निर्माण तक उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
कामेश्वर चौपाल का जीवन राम मंदिर आंदोलन और हिंदू समाज सेवा के प्रति समर्पित रहा। उनके निधन से अयोध्या और रामभक्तों में गहरा शोक व्याप्त है।