प्रयागराज में ‘हरित महाकुम्भ – 2081’ का आयोजन
- यह पर्यावरण संरक्षण गतिविधि और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सहयोग से आयोजित हो रहा है
- इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के असंतुलन और वैश्विक तापमान में वृद्धि जैसे गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है
प्रयागराज। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा महाकुम्भ 2025 के अवसर पर दो दिवसीय ‘हरित महाकुम्भ-2081’ का आयोजन 05 और 06 फरवरी को किया जा रहा है। यह पर्यावरण संरक्षण गतिविधि और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सहयोग से आयोजित हो रहा है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के असंतुलन और वैश्विक तापमान में वृद्धि जैसे गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूज्य प्रभु जी, लाल महेन्द्र शिव शक्ति सेवा समिति ने कहा, “मन, घर और पर्यावरण – इन तीन चीजों की स्वच्छता संसार की सभी प्रतिक्रियाओं को निर्धारित करती हैं।” विशेष अतिथि प्रो. आर. एस. वर्मा निदेशक एमएनएनआईटी ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर जोर देते हुए कहा, “सिर्फ सस्टेनेबल विकास से ही हम अपने भविष्य को संरक्षित रख सकते हैं।”
अन्य वक्ताओं में डॉ. प्रसन्ना मूर्ति ने प्राचीन भारत की पर्यावरण संरक्षण की परंपराओं पर प्रकाश डाला, जबकि गोपाल आर्य जी ने ‘हरित’ और ‘हरि’ के बीच संबंध पर विचार व्यक्त करते हुए कहा, “हरित से हरि को पाया जा सकता है, जबकि ‘ग्रीन’ शब्द लालच का प्रतीक है।”
स्वामी वागीश जी ने समाज की प्रवृत्तियों पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हमें ‘पाप करते जाओ, पुण्य ख़रीद लिए जाएंगे’ जैसी प्रवृत्तियों से बचना होगा।” नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. पी. एस. शुक्ला ने कहा, “हमें धरती, मानवता और सकारात्मकता के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रदूषण से लड़ना और जीतना होगा।”
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा, “पर्यावरण की स्थिति के लिए हम ही जिम्मेदार हैं, और हमें ही इसके दुष्परिणामों से खुद को बचाना होगा।”
यह आयोजन कुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर-8, पी. डब्ल्यू.- 801 में चल रहा है।