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काशी – ऐतिहासिक महानाट्य “जाणता राजा” का पोस्टर विमोचन

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सेवा भारती काशी प्रान्त की ओर से आयोजित महानाट्य ‘जाणता राजा’ के पोस्टर का विमोचन शुक्रवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में हुआ. मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि महानाट्य ‘जाणता राजा’ वर्तमान परिस्थितियों में शिवाजी महाराज के जीवन से परिचित करवाएगा. हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए शिवाजी ने ऐसे मित्र बनाए, जिनका आदर्श वर्तमान परिस्थिति में भी प्रासंगिक है. शिवाजी नाई का उदाहरण देते हुए कहा कि युद्ध में पारंगत न होते हुए भी स्वराज के लिए अपने प्राणों की चिंता न करके शत्रु के दल में सीधा प्रवेश किया. बाजी प्रभुदेश पाण्डे छत्रपति शिवाजी के प्राणों की रक्षा के लिए मात्र तीन सौ मावलों को लेकर चार हजार पठान घुड़सवारों के साथ भिड़ गए और वीरगति को प्राप्त हुए. वर्तमान में महाराष्ट्र का वह स्थान पावन खिण्ड के नाम से प्रसिद्ध है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रभक्ति का भाव शिवाजी में कूट-कूटकर भरा था. उन्हें राजा बनने की इच्छा नहीं थी. परन्तु हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की. शिवाजी महाराज महिलाओं का भी विशेष सत्कार करते थे. गरीब महिला के साथ दुर्व्यवहार करने के कारण अपने सगे मामा मोहिते को भी आजीवन कारावास का दण्ड दिया. त्वरित निर्णय लेना छत्रपति शिवाजी की विशेषता थी. नये दुर्गों का निर्माण, नौसेना की स्थापना, सुशासन हेतु पंत प्रधानों की नियुक्ति छत्रपति शिवाजी द्वारा रामराज्य की परिकल्पना को साकार करती है. शिवाजी के इन्हीं आदर्शों को कलमबद्ध करते हुए बाबा साहब पुरन्दरे जी ने महानाट्य की रचना की. महानाट्य प्रस्तुति में 300 से अधिक कलाकार भाग लेंगे.

पूरा सभागार हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा, जब महानाट्य के कुछ संवादों का ऑडियो क्लिप सुनाया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि शिवाजी का नाम सुनते ही मन में एक प्रकार की तरंग, उमंग और उत्साह पैदा होता है. बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करना शत्रुओं की पकड़ से भी सहजता से बाहर आ जाना, यह गुण छत्रपति शिवाजी को श्रेष्ठ बनाता है. इस महानाट्य को देखने पर ऐसा लगेगा, जैसे हम सभी उसी काल में पहुंच गए हों. उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि हमारी संस्कृति को पुरातन काल में बहुत चोट पहुंची. जिसके उत्थान का कार्य शिवाजी ने किया. यह नाटक भारत की व्यवस्था को बदलने के उद्देश्य से आयोजित किया जाएगा.

कार्यक्रम के अध्यक्ष दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक आशीष गौतम ने कहा कि छत्रपति शिवाजी केवल महाराष्ट्र के गौरव नहीं हैं, बल्कि सम्पूर्ण भारत के आस्था के केन्द्र हैं. जिस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित को जन-जन तक पहुंचाया, उसी प्रकार छत्रपति शिवाजी के जीवनचरित को बाबा साहब पुरन्दरे ने महानाट्य के माध्यम से जनता के बीच में पहुंचाने का कार्य किया है.

कार्यक्रम का प्रारम्भ मंचासीन अतिथियों द्वारा भारत माता, शिवाजी के चित्र एवं मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके हुआ. वैदिक विद्वानों द्वारा वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति दी गयी. कार्यक्रम के अन्त में वन्देमातरम का गायन हुआ.