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देवताओं के स्वागत के लिए काशी तैयार, आएंगे सीएम योगी

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-देव दीपावली को लेकर काशी में तैयारियां पूरी, आयोजन कल

-घांटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, घाटों पर जलेंगे दीप 

- देव दीपावली का महोत्सव काशी की पवित्रता और धार्मिकता का प्रतीक


वाराणसी । देव दीपावली का पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो इस साल 15 नवंबर 2024 को है। देव दीपावली विशेष रूप से वाराणसी (काशी) में मनाई जाती है, और इसे देवताओं की दिवाली के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से उतरकर गंगा किनारे आते हैं, और इसलिए उनकी स्वागत में काशी के घाटों पर दीप जलाए जाते हैं। इस भव्य आयोजन के दौरान काशी के सभी प्रमुख घाट लाखों दीपों की रोशनी से जगमगा उठते हैं।

काशी में तैयारियाँ-

- काशी के सभी प्रमुख घाटों पर दीयों की सजावट की जा रही है। घाटों पर लगभग दस लाख से अधिक दीयों को जलाने की तैयारी है, जो गंगा के किनारे एक दिव्य आभा बिखेरेंगे।

- प्रशासन द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात रहेंगे।

- घाटों पर रंग-बिरंगी रोशनी और लाइट शो का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें गंगा की महिमा, काशी की पौराणिकता, और भारतीय संस्कृति को दर्शाने वाले दृश्य होंगे।


आएंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ- 

- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस अवसर पर विशेष रूप से वाराणसी में मौजूद रहेंगे। वे प्रमुख घाटों पर जाकर दीप जलाकर इस महोत्सव का शुभारंभ करेंगे।

- इसके साथ ही वे सांस्कृतिक कार्यक्रमों और गंगा आरती में भी सम्मिलित होंगे।

- मुख्यमंत्री के साथ कई प्रमुख हस्तियाँ और स्थानीय अधिकारी भी इस महोत्सव में भाग लेंगे।

धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम-

- घाटों पर शाम के समय गंगा आरती का विशेष आयोजन किया जाएगा, जिसमें देवी गंगा का पूजन, मंत्रोच्चार और दीपदान होगा।

- इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, जैसे नृत्य और संगीत कार्यक्रम, भी आयोजित किए जाएंगे। बनारस की पारंपरिक संगीत की धुनों पर भक्त और पर्यटक झूमते नजर आएंगे।

- इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक वाराणसी पहुँचते हैं, जो काशी के घाटों की इस दिव्य रोशनी और संस्कृति के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं। देव दीपावली का यह महोत्सव काशी की पवित्रता और धार्मिकता का प्रतीक है और हर साल इसे भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।