नई दिल्ली. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को रखने की घटना को उनके मूल संवैधानिक अधिकारों का हनन करार दिया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि इस्लामिक मदरसों में इस तरह की घटनाएं समाज में धार्मिक वैमनस्य या दुश्मनी को बढ़ावा देने का कारण बन सकती हैं. चंडीगढ़ से लापता बच्चे के सहारनपुर स्थित मदरसे में मिलने की खबर को लेकर यह बात कही.
प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि आयोग ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है – “मदरसों के हिन्दू बच्चों को संविधान के अनुरूप बुनियादी शिक्षा का अधिकार मिले, इसलिए उन्हें स्कूल में भर्ती करें और मुस्लिम बच्चों को भी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार देने के लिए प्रबंध करें. इसके लिए उत्तरप्रदेश की राज्य सरकार के मुख्य सचिव ने आयोग की अनुशंसा के अनुरूप आदेश जारी किया था.” आयोग के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि मदरसा इस्लामिक मज़हबी शिक्षा सिखाने का केंद्र होता है और शिक्षा अधिकार क़ानून के दायरे के बाहर होता है.
https://x.com/KanoongoPriyank/status/1811943350355833005
NCPCR अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें समाचार पत्रों के जरिए पता चला है कि जमीयत उलेमा ए हिन्द नामक इस्लामिक संगठन इस आदेश बारे में झूठी अफ़वाह फैला कर लोगों को गुमराह कर जन सामान्य की भावनाएँ भड़काने का काम कर रहा है. जमीयत इस्लामिक मौलवियों का एक संगठन है जो मदरसा दारुल उलूम देवबंद की एक शाखा ही है. दारुल उलूम देवबंध ने गजवा ए हिन्द का समर्थन किया था. इसी के बाद आयोग ने कार्रवाई की है.
पिछले साल उत्तर प्रदेश के देवबंद से सटे एक गाँव में चल रहे मदरसे में एक गुमशुदा हिन्दू बच्चे की पहचान बदलने और ख़तना कर धर्मांतरण करने की घटना से सांप्रदायिक सामंजस्य बिगड़ा था. ऐसे में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ये कार्यवाही ज़रूरी है. उत्तर प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम भी लागू है, किसी को भी बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन नहीं करना चाहिए.
प्रियांक कानूनगो ने लोगों से निवेदन किया कि ये मामला बच्चों के अधिकार का है, किसी भी कट्टरपंथी के बहकावे में न आएं और बच्चों के एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने में सहभागी बनें. साथ ही इस मामले में अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए सरकार से आग्रह किया गया है.