राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि अपने ‘स्व’ को पहचानें. ‘स्व’ को जितना हम जानेंगे, उसके आधार पर ही राष्ट्र निर्माण में हम अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने के लिए सिद्ध हो सकेंगे. वह महिला समन्वय, भोपाल विभाग द्वारा पीपुल्स मॉल में आयोजित ‘शक्ति समागम’ सम्मलेन में मातृशक्ति को संबोधित कर रहे थे. देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए मातृशक्ति की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उनकी भूमिका पर संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि पूर्व के कालखंड में महिलाओं ने समाज को बलशाली करने का बेहतर कार्य किया है, लेकिन बीच के आक्रमण काल में सुरक्षा के कारण कुछ बंधन आ गए. जिसके कारण स्वभाव बन गया कि बहनों का काम घर के काम तक ही सीमित है, परंतु यह कालखंड अब नहीं रहा. आज पुरुष जो काम कर सकते हैं वो महिलाएं भी कर सकती हैं. सीमाओं में बंधे नहीं. जहां हैं वहीं से राष्ट्र निर्माण में बेहतर तरीके से अपनी भूमिका का निर्वहन करें क्योंकि समाज के उत्थान में सभी की भूमिका रहती है.
उन्होंने शकुंतला द्वारा निभाई माँ की भूमिका, रानी अहिल्या बाई होलकर की आदर्श राज्य व्यवस्था बनाने, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा अकेले महिलाओं की फौज तैयार करने, कल्पना चावला द्वारा वैश्विक मंच पर भारत को आगे बढ़ाने की बात पर प्रकाश डाला. उन्होंने देश को विकास की राह पर लाने के लिए महिलाओं से ‘स्व’ को पहचानकर कार्य करने की बात कही. साथ ही जीवन को संस्कारित बनाकर परंपराओं को नई दिशा देने की बात पर भी जोर दिया.
मध्यक्षेत्र के सह क्षेत्र कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध, महिला सम्मलेन शक्ति समागम की प्रान्त संयोजिका डॉ. सुनंदा सिंह रघुवंशी, विभाग संयोजिका कुसुम सिंह उपस्थित थीं. मंच संचालन डॉ. वंदना गांधी ने किया. कार्यक्रम का आभार कुसुम सिंह जी व्यक्त किया.
तीन सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में 2000 से अधिक की संख्या में समाज के सभी वर्गों की मातृशक्ति ने सहभागिता की. इस दौरान विभिन्न विषयों पर ज्ञानवर्धक उद्बोधन के साथ कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, गीत इत्यादि का भी आयोजन किया गया.