गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
गोरखपुर की पावन धरती जो सदियों से संत, महापुरुष और क्रांतिकारी की कर्म भूमि रही है। उसी भूमि पर आज एक काला खेल खेला जा रहा था। गरीबी और बीमारी से पीड़ित लोगों को निशाना बनाया जा रहा था और ऐसे षड्यंत्र को अंजाम देने वाली एक महिला थी जिसका नाम था लक्ष्मी यादव, लक्ष्मी दिखाने के लिए ब्यूटी पार्लर और सिलाई का काम करती थी और अपने षड्यंत्र के तहत गरीब और बीमार लोगों को इसाई बनने के लिए प्रेरित करती थी। दिन में मेकअप ब्रश और सिलाई मशीन चलाने वाली लक्ष्मी, रात में मतांतरण का जाल बुनने लगी। उसके घर में न पूजा की घंटी थी, न दीपक की लौ। वहाँ गूंजते थे केवल बाइबल के पन्नों की सरसराहट और झूठी प्रार्थनाओं का शोर। यूट्यूब देखकर उसने ढोंग सीख लिया था। सिर पर रूमाल रखकर वह गरीब और बीमार लोगों से कहती 'प्रभु तुम्हारी बीमारी दूर कर देंगे। बाइबल पढ़ो, दुख खत्म हो जाएंगे।' गरीब महिलाएं, जिनकी उम्मीदें पहले ही टूटी हुई थीं, उसकी मीठी बातों में फंस जातीं। उन्हें लगता शायद यही आखिरी सहारा है। लेकिन हकीकत कुछ और थी। यह केवल बीमारी दूर करने का खेल नहीं था अपितु मतांतरण का घिनौना षड्यंत्र था। जिनके पास पहले से कुछ नहीं था, उनसे उनकी जड़ें, पहचान और सनातन धर्म छीना जा रहा था।
पुलिस की छापेमारी से हुआ षड्यंत्र का भंडाफोड़
जब गाँव वालों ने विश्व हिंदू परिषद से शिकायत की, तो सनातन समाज जाग उठा। पुलिस ने छापा मारा और लक्ष्मी के घर से बाइबल, मसीही गीत पुस्तकें, मतांतरण की डायरी, तांत्रिक लिखावट, नकली चमत्कारी रूमाल और मोबाइल में मतांतरण वाले वीडियो बरामद किए। यही नहीं, लक्ष्मी का नेटवर्क कई जिलों तक फैला हुआ था। यूट्यूब देखकर सीखा हुआ उसका प्रार्थना-नाटक कई गांवों में चल रहा था। वह खुद गाती थी और बाकी लोग उसकी नकली बातें दोहराते थे।
लालच और ब्रेनवॉश का धंधा
लक्ष्मी गरीब महिलाओं को कहती 'बाइबल पढ़ो सारी बीमारियां खत्म हो जाएंगी। तुमने जितना भी कष्ट अपनी जिंदगी में झेला है। एक ही झटके में खत्म हो जाएगा। एक नए जीवन का एहसास करोगे। ऊपर वाले ने एक ही जीवन दिया है। इसलिए अपनी झोली में कष्ट नहीं, सुख डालो। यह सब तुम तब कर पाओगे, जब सच्चे ईश्वर को समझ पाओगे।' बीमारियों और तंगी से टूटी हुई औरतें उसके घर आतीं और धीरे-धीरे उनके भीतर सनातन से दूरी और ईसाई धर्म की ओर खिंचाव पैदा किया जाता। लक्ष्मी का पति भी उससे दूर रहता, क्योंकि लक्ष्मी पूरी तरह इस षड्यंत्र में डूब चुकी थी। पूजा-पाठ छोड़ चुकी थी। वह रविवार को खास प्रार्थना सभा रखती थी, जहाँ गाँव की औरतें इकठ्ठा होतीं और लक्ष्मी पादरी की तरह प्रवचन देती। एक ऐसे ही रविवार को जब प्रार्थना सभा चल रही थी, तभी विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी और ग्रामीण वहाँ पहुँच गए। मतांतरण के खिलाफ विरोध करने लगे तभी वहां मौजूद अन्य अन्धविश्वासी महिलाएं और पादरी बनी लक्ष्मी उनसे भिड़ने लगीं। माहौल इतना गरमाया की अंत में पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस ने लक्ष्मी और उसकी साथी रोशनी को गिरफ्तार किया। आज वे दोनों जेल में हैं और पूरा नेटवर्क खुफिया विभाग की निगरानी में है। गोरखपुर की यह घटना केवल एक गांव की कहानी नहीं है। यह हर उस हिंदू को चेतावनी है जो सोचता है कि 'यह मेरे साथ नहीं होगा।' अब समय आ गया है जागरूक होने का, संगठित होने का और हर उस साजिश को ध्वस्त करने का जो सनातन को मिटाने के लिए रची जा रही है। सनातन धर्म ही सत्य है। सनातन धर्म ही शाश्वत है और इसी सत्य के आगे हर छल, हर षड्यंत्र और हर झूठ का अंत निश्चित है।
सनातन का जयघोष
इतिहास गवाह है की आक्रमणकारी आए, हमले हुए, जबरन मतांतरण की कोशिशें हुईं। लेकिन सनातन धर्म आज भी खड़ा है, अडिग है। क्योंकि यह केवल धर्म नहीं अपितु जीवन का शाश्वत सत्य है। इसका कोई पादरी नहीं, कोई नकली चमत्कार नहीं। सनातन का चमत्कार है सत्य, तपस्या, योग, वेद, गीता और वह आस्था जो करोड़ों दिलों में बसी है।