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आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा 2025 का शुभारंभ

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आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा 2025 का शुभारंभ

- इस वर्ष जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं। यात्रियों से यात्रा के दौरान पवित्रता बनाए रखने और पर्यावरण का सम्मान करने की अपील की गई है।

- आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट अनिवार्य है, जो धारचूला तहसील से जारी होता है। इस बार प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए परमिट की अवधि घटाकर केवल 4 दिन कर दी है। यानी यात्रियों को 4 दिन के भीतर सभी दर्शनीय स्थलों का दर्शन कर वापस लौटना होगा।

उत्तराखंड के सीमांत पिथौरागढ़ जिले में स्थित आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा 2025 का शुभारंभ 2 मई को पारंपरिक धार्मिक विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। पार्वती कुंड के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर के कपाट दोपहर 12 बजे शुभ मुहूर्त में खोले गए। कपाट खुलते ही मंदिर परिसर 'हर हर महादेव' के जयकारों से गूंज उठा। इस अवसर पर लगभग 150 स्थानीय ग्रामीणों और 50 तीर्थयात्रियों ने भगवान शिव के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

पार्वती कुंड का महत्व

आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर स्थित पार्वती कुंड न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है। मान्यता है कि इस पवित्र कुंड में स्नान करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कुंड के पास ही भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जहां श्रद्धालु दर्शन कर आगे की यात्रा के लिए प्रस्थान करते हैं।

यात्रा के लिए विशेष व्यवस्थाएं

इस वर्ष जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं। यात्रियों से यात्रा के दौरान पवित्रता बनाए रखने और पर्यावरण का सम्मान करने की अपील की गई है। यात्रा के दौरान चिकित्सा आपातकालीन स्थिति के लिए पांगला, कुटी और आदि कैलाश में तीन एंबुलेंस तैनात रहेंगी।

इनर लाइन परमिट अनिवार्य

आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट अनिवार्य है, जो धारचूला तहसील से जारी होता है। इस बार प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए परमिट की अवधि घटाकर केवल 4 दिन कर दी है। यानी यात्रियों को 4 दिन के भीतर सभी दर्शनीय स्थलों का दर्शन कर वापस लौटना होगा। रजिस्ट्रेशन कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) के माध्यम से किया जा सकता है। यात्रा के लिए मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट, पुलिस वेरिफिकेशन और इनर लाइन परमिट आवश्यक हैं।

यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

आदि कैलाश को पंच कैलाशों में से एक और भगवान शिव तथा माता पार्वती का निवास स्थान माना जाता है। यह पर्वत 6,191 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नाभीढांग से ओम पर्वत की बर्फीली चोटी पर 'ॐ' की आकृति स्पष्ट दिखाई देती है, जिससे इसका नाम ओम पर्वत पड़ा है। यह यात्रा न केवल तीर्थयात्रा है, बल्कि आध्यात्मिक आस्था और शांति का अनुभव भी कराती है।

बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या

पिछले वर्ष आदि कैलाश यात्रा में 32,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दर्शन के बाद यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में और अधिक उत्साह देखा जा रहा है। प्रशासन को इस वर्ष और अधिक तीर्थयात्रियों के पहुंचने की उम्मीद है।

यात्रा का मार्ग

आदि कैलाश यात्रा के लिए सबसे पहले पिथौरागढ़ पहुंचना होता है, फिर धारचूला और उसके बाद गुंजी जाना होता है। यहां से आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन किए जा सकते हैं। अधिकतर यात्री गुंजी, नपालचू और कुटी गांवों में होम स्टे का लाभ उठाते हैं।

आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा 2025 का शुभारंभ श्रद्धा, भक्ति और प्रशासनिक व्यवस्थाओं के साथ हो गया है। यदि आप भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो नियमानुसार इनर लाइन परमिट, मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट और पुलिस वेरिफिकेशन के साथ रजिस्ट्रेशन अवश्य कराएं, ताकि आपकी यात्रा मंगलमय और सुरक्षित रहे।