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लोकमाता अहिल्यादेवी की दृष्टि राष्ट्र व्यापी थी – कैप्टन मीरा दवे

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लोकमाता अहिल्यादेवी की दृष्टि राष्ट्र व्यापी थी – कैप्टन मीरा दवे

  • - उन्होंने मालवा प्रांत में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्वराज्य साकार किया था। अहिल्यादेवी का लोक कल्याणकारी राज्य यानी धर्माधिष्ठीत सत्तानीति का आदर्श है
  • - मीरा दवे ने कहा, “लोकमाता अहिल्यादेवी की दृष्टि राष्ट्र व्यापक थी। मातृशक्ति को घर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, घर में होने वाले संस्कार समाज का निर्माण करते हैं और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है

चौंडी (अहिल्यानगर), 09 फरवरी। चौंडी में पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी अभिवादन समारोह में कैप्टन मीरा दवे (से.नि.) ने कहा कि अहिल्यादेवी होलकर के रूप में चौंडी की भूमि पर ही 300 वर्ष पूर्व बलिदान, न्याय और धर्म के वटवृक्ष का रोपण हुआ था। उन्होंने मालवा प्रांत में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्वराज्य साकार किया था। अहिल्यादेवी का लोक कल्याणकारी राज्य यानी धर्माधिष्ठीत सत्तानीति का आदर्श है।

इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्या भाग्यश्री साठे, महर्षी कर्वे स्त्री  शिक्षण संस्था की उपाध्यक्षा स्मिता कुलकर्णी, सचिव डॉ. पी. वी. शास्त्री भी उपस्थित रहीं।

मीरा दवे ने कहा, “लोकमाता अहिल्यादेवी की दृष्टि राष्ट्र व्यापक थी। मातृशक्ति को घर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, घर में होने वाले संस्कार समाज का निर्माण करते हैं और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है। इसलिए अहिल्यादेवी के कार्य का एक अंश हममें भी पनपना चाहिए।”

भाग्यश्री साठे ने आह्वान किया कि तेजस्वी, धर्मनिष्ठ, न्यायप्रिय, लोक प्रशासक और सशक्त नेतृत्व धारण करने वाली अहिल्यादेवी के जीवन को समाज जीवन में पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि “हम जिस क्षेत्र में कार्यरत हैं, वहां अहिल्यादेवी का जीवनचरित्र पहुंचाएं। इसके लिए शोधकार्य, व्याख्यान, नाटक, नृत्य जैसे आयामों का उपयोग करना चाहिए। अहिल्यादेवी के नाम से संपूर्ण देश में विमर्श खड़ा रहना चाहिए।”

समारोह के उद्घाटन सत्र में महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति व अहिल्यादेवी होलकर के वंशज राम शिंदे ने कहा, कि “व्यक्तिगत जीवन में कई दुःख होने के बावजूद अहिल्यादेवी ने राष्ट्रनिर्माण और जनसेवा का कार्य अविरत जारी रखा। सामाजिक न्याय, महिला कल्याण, व्यापार, कृषि और न्याय प्रणाली में किया गया कार्य आज भी हमारे लिए दिशादर्शक है। संपूर्ण राष्ट्र के लिए अहिल्यादेवी एक प्रेरणास्त्रोत हैं।”

स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में प्रत्य़क्ष उपस्थित रहने में असमर्थ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. शांतीश्री पंडित ने वीडियो माध्यम से अपने संदेश में कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर ने 300 वर्ष पूर्व महिला आधारित विकास कार्य किया। आज आत्मनिर्भर भारत के लिए अहिल्यादेवी का लोकराज्य सच्चे अर्थों में मार्गदर्शक है।

इस अवसर पर राज्य की महिला व बाल कल्याण, सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य मंत्री मेघना बोर्डीकर, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. भारती पवार, विधायक मोनिका राजले उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में एकता मासिक पत्रिका के अहिल्यादेवी हिंदी विशेषांक का विमोचन किया गया। साथ ही चिन्मयी मूले द्वारा लिखित और देविदास देशपांडे द्वारा अनुवादित ‘अदम्य चैतन्याची महाराणी’ पुस्तकों का विमोचन किया गया। कलावर्धिनी नृत्य समूह की अरुंधती पटवर्धन व उनके समूह ने अहिल्यादेवी की जीवनी पर नृत्यनाटिका प्रस्तुत की।