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वक्फ की आड़ में जमीनों की लूट ?

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  •  रोज आ रही खबरों के अनुसार इसे वक्फ बोर्ड कहें या जमीन हड़प गैंग?
  • सरकारी जमीनों पर वक्फ का शिकंजा !
  •  हर बेशकीमती जमीन पर वक्फ की दस्तक—सांप्रदायिक मंशा या साजिश ?
  •  क्या वक्फ बोर्ड के पीछे छिपा है कोई बड़ा एजेंडा?
  •  सरकार की जमीन, वक्फ के नाम 
  •  अलीगढ़ में 110 करोड़ की जमीन पर कब्जे का विवाद: नगर निगम बनाम वक्फ बोर्ड

अलीगढ़ : जब देश की जमीनें ही सुरक्षित न रहें, तो संविधान की व्याख्या किसके लिए की जाए? वक्फ बोर्ड - जो संविधान की छाया में पनपा एक ‘ट्रस्ट’ है सरकारी जमीनों को निशाना बनाकर उन्हें इस्लामी संपत्ति घोषित कर देता है। देश की कई अदालतों और सरकारी दफ्तरों में वक्फ बोर्ड की ओर से ऐसे दस्तावेज पहुंचाए जा रहे हैं, जिनमें स्कूल, अस्पताल, पार्क, झील, रेलवे स्टेशन और यहां तक कि हमारे मंदिरों की जमीनों तक को 'वक्फ' घोषित करने की चालें चली जा रही हैं। यह एक गहरा षड्यंत्र है।

अलीगढ़ का मामला: वक्फ की चाल और सरकार की जमीन

अलीगढ़ के नौरंगाबाद में 21 बीघा सरकारी जमीन जिस पर नगर निगम का वैध कब्जा वर्षों से है अब वक्फ बोर्ड की नजर में वक्फ की संपति बन गई है। 2020 और 2022 में दो मुकदमे दाखिल हुए और अदालत से स्टे ऑर्डर ले लिया गया। इससे न तो विकास कार्य हो पा रहा है, न ही राजस्व आ रहा है। यह जमीन अगर किसी मंदिर ट्रस्ट ने मांगी होती, तो शायद अब तक उसे “अवैध कब्जा” घोषित कर दिया गया होता। लेकिन जब वक्फ बोर्ड दावे करता है, तो कोर्ट का रुख भी बदल जाता है।

क्या वक्फ बोर्ड बना है ‘इस्लामी जमीन विस्तारवाद’ का औजार?

आरटीआई के जवाबों में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं -

- उप्र  में 8,000 से ज्यादा ऐसी संपत्तियां जिन पर वक्फ दावा कर चुका है

- हजारों स्कूलों, कॉलेजों, यहां तक कि मंदिर परिसरों को भी वक्फ की जमीन बताया गया

सवाल सिर्फ जमीन का नहीं- राष्ट्र की आत्मा का है

अगर यह सिलसिला नहीं रुका, तो वो दिन दूर नहीं जब भारत के शहरों का भूगोल भी वक्फनामा से तय होगा। नगर निगम की जमीनों पर, रेलवे स्टेशनों पर, ऐतिहासिक धरोहरों पर और यहां तक कि हिंदू धार्मिक स्थलों पर वक्फ का दावा देश की बहुसंख्यक संस्कृति के खिलाफ एक छुपा हुआ हमला है।

उम्मीद की किरण

केंद्र सरकार द्वारा लाया गया संशोधन अब इस इस्लामी जमीन नीति की दीवार में सेंध है। अब किसी भी सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता। नगर निगम अलीगढ़ ने अब इस कानून को अपना हथियार बनाकर हाईकोर्ट में दोबारा मोर्चा खोल दिया है।

यह सिर्फ अदालतों की लड़ाई नहीं—यह भारत की मिट्टी, राष्ट्र की संपत्ति और सांस्कृतिक अस्तित्व की लड़ाई है। अगर वक्फ बोर्ड को उसकी सीमाओं में नहीं रखा गया, तो आने वाले वर्षों में जनता की जमीनें कट्टरपंथियों के दावों में डूब जाएंगी और सरकारें सिर्फ कागज देखने में उलझी रह जाएंगी।