भगवान शिव को अतिप्रिय पावन श्रावण मास चल रहा है, जिसमें सात्विकता, पवित्रता और शुचिता का बहुत ध्यान रखा जाता है। लेकिन कुछ लोग अपनी ओछी मानसिकता के चलते हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने को अपना अधिकार मानते हैं कुछ ऐसा ही हुआ उत्तर प्रदेश के मेरठ में जहाँ 12 अगस्त को मिड डे मील के दौरान एक मुस्लिम अध्यापक मोहम्मद इकबाल खान ने शिक्षक की गरिमा को कलंक लगाते हुए पवित्र श्रावण माह में एक हिन्दू दिव्यांग बच्चे को जबरदस्ती मांस खिला दिया।
मामला कोतवाली क्षेत्र में बुढ़ाना गेट के पास सरकारी प्राथमिक विद्यालय वैदवाड़ा का है। जहाँ 20 बच्चे पंजीकृत हैं। सोमवार को 2 हिन्दू भाई और 4 मुस्लिम बच्चे विद्यालय आये थे। मिड डे मील के लिए NGO ने शाकाहारी भोजन भिजवाया था लेकिन हेडमास्टर ने बाजार से मांस मंगवाकर बच्चों को दिया दोनों हिन्दू भाइयों ने इसको खाने से मना कर दिया लेकिन छोटे और दिव्यांग बच्चे को डरा धमकाकर जबरदस्ती मांस खिलाया गया जब बच्चे ने घर जाकर इसकी जानकारी दी तो परिजनों और स्थानीय लोगों ने स्कूल पहुंचकर हंगामा किया और पुलिस और बीएसए से शिकायत की, जिसके बाद मुकदमा दर्ज कर हेड मास्टर मोहम्मद इकबाल खान को गिरफ्तार कर लिया गया। बीएसए ने प्रारंभिक जांच के बाद आरोपी हेड मास्टर को सस्पेंड भी कर दिया ।
आरोप यह भी है कि प्रधानाध्यापक मोहम्मद इकबाल खान ने छात्रों के नाम काटने की धमकी देकर उन्हें चुप रहने को भी कहा था। आरोपी को सजा होगी या उसकी देर सबेर बहाली भी हो जायेगी लेकिन सवाल यह है कि हिन्दुओं के लिए अपने मन में ऐसी मानसिकता को लेकर ऐसे मुस्लिम किस मुंह से भाईचारे की बात करते हैं.....
आखिर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने में इन्हें जिस सुख की प्राप्ति होती है कहीं उसकी जड़ें इस्लाम के छिपे हुए कट्टरपंथ में तो नहीं है? ऐसी घटनाओं से समाज में शान्ति भंग होने का ख़तरा तो बना ही रहेगा साथ ही मुस्लिमों के प्रति समाज की सोच सही साबित होगी कि गैर मुस्लिमों के प्रति इनकी जिहादी मानसिकता का कोई अंत नहीं है।