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शिव का नाम सुनते ही बौखलाए मुस्लिम युवक, दलित को घसीटकर पीटा

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मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश 

हिन्दुस्तान के जिस हिस्से में डेमोग्राफी बदली, वहां हिन्दू आस्था को कुचलने को प्रयास होने लगा। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के बिलारी में भी ऐसी ही घटना सामने आई। जहां दलित युवक ने सावन महीने के चलते ई-रिक्शा पर भोलेनाथ का भजन क्या बजाया। मुस्लिम युवकों की टोली उस पर ऐसे टूट पड़ी जैसे उनसे कोई गंभीर अपराध कर दिया हो। किसी को गंभीर चोट पहुंचा दी हो। कट्टरपंथियों की टोली ने पहले तो जातिसूचक गालियांद दीं, फिर बीच सड़क पर घसीटा और एक घर में बंद कर बेरहमी से पीट दिया। यह घटना कोई साधारण हिंसा नहीं अपितु इस्लामी कट्टरता की खुली झलक है, जो हिंदू आस्था से नफरत करती है और अब उसे दबाने के लिए खुलेआम वार करने लगी है। ये सिर्फ अंकित पर हमला नहीं था । यह हमला उस सनातनी चेतना पर था, जो कण-कण में शिव को देखती है, हर सांस में 'हर-हर महादेव' का स्वर बसाए हुए है और जिसका अस्तित्व ही भक्ति है, भय नहीं।  जिस कट्टरपंथी मानसिकता को मंदिर की घंटी से तकलीफ होती है, वो अजान के शोर को तो ‘अधिकार’ मानती है लेकिन भजन को 'उकसावा' । वही मानसिकता इस देश की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। अब सवाल हिंदू-मुस्लिम का नहीं, अब सवाल है – क्या भारत में रहकर भारत की संस्कृति को जीने का भी अधिकार नहीं? क्या अब भक्ति भी इन्हें बर्दाश्त नहीं होती? पुलिस ने कुछ को पकड़ा, बाकी पर कार्रवाई जारी है — लेकिन असली लड़ाई कानून से नहीं, उस जहरीली कट्टरपंथी सोच से है जो सनातनी को दुश्मन मानती है। आकड़ों पर नजर डालें तो मुरादाबाद के बिलारी में हिन्दू और मुस्लमान बराबर-बराबर संख्या में है। यहाँ हिन्दू 49.73% हैं तो वहीँ मुसलमान 49.72% हैं।

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