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हरेला पर्व पर लगेंगे उत्तराखण्ड में एक लाख पौधे

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उत्तराखण्ड 

आजकल पेड़ों की कटाई, नदियों का प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं, और ऐसे समय में पर्यावरण को बचाना बहुत आवश्यक हो गया है  और इसी कड़ी में इस वर्ष हरेला पर्व के मौके पर उत्तराखंड में कई बड़े और अच्छे काम किए जा रहे हैं, जो पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक अच्छी शुरुआत हैं। बताते चलें की ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने हरेला पर्व को ‘वृक्ष दिवस’ के रूप में मनाते हुए एक लाख पौधे लगाने का निर्णय लिया है। वही संस्था के अध्यक्ष ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने बताया कि 2025 में चिपको आंदोलन की नेता माता गौरादेवी का जन्म शताब्दी वर्ष है, जिसे पूरे उत्तराखंड में मनाया जा रहा है। इसी के तहत 24 मार्च को चमोली जिले के रैणी गांव से चिपको चेतना यात्रा शुरू की गई थी। 

गौरादेवी ईको टूरिज्म गांव

संस्था हर तहसील में ‘गौरादेवी वाटिका’ बनाएगी, जहां फलदार पेड़ लगाए जाएंगे। साथ ही सौ गांवों को “गौरादेवी ईको टूरिज्म गांव” बनाया जाएगा, जिससे गाँवों में रोजगार भी बढ़ेगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। वही  देहरादून में भी पर्यावरण को बचाने के लिए एक सार्थक कदम उठाया गया हैं , मिली जानकारी के अनुसार नमामि गंगे’ योजना के तहत अब स्कूल-कॉलेज के छात्र पौधे लगाएंगे और उन्हें गोद लेकर उनकी देखभाल भी करेंगे। अभी तक 20 शिक्षण संस्थान करीब 400 पौधे गोद लेने को तैयार हो चुके हैं। साथ ही इस अभियान में गंगा और उसकी नदियों की सफाई को लेकर लोगों को जागरूक भी किया जाएगा। एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत हर छात्र अपनी मां के नाम पर पौधा लगाएगा और उसकी जिम्मेदारी भी लेगा। इन दोनों पहल से यह साफ है कि उत्तराखंड में हरेला पर्व अब केवल त्योहार नहीं रहा, बल्कि यह पर्यावरण को बचाने का एक बड़ा अभियान बन गया है।