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आत्मनिर्भरता - जूते, चप्पल और सैंडल बना बंदी दिखा रहे कौशल

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कहते हैं जहाँ चाह वहां राह, इसी को सिद्ध कर रहे हैं अपने ही समाज के कुछ ऐसे लोग जिनके कदम कभी भटक गये थे लेकिन आज वे अपराध से नाता तोड़कर अपनी कारीगिरी से लोगों के दमों की शान बढ़ा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं आगरा जेल में बंद 150 ऐसे बंदियों की जो अपने किसी अपराध के चलते जेल में हैं लेकिन उनके बनाये जूते और सैंडल जेल के आउटलेट पर बिक रहे हैं 

खास बात यह है कि कम दाम में उपलब्ध जूतों की क्वालिटी लोगों द्वारा खूब पसंद की जा रही है क्योंकि ये कारीगर 50% कम मजदूरी में काम कर रहे हैं जेल प्रशासन ने इन बंदियों को सजा पूरी करने के बाद बाहर निकलने पर अपराध से दूर रखने के लिए रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई और नवंबर 2023 में जिला जेल में जूता कारखाना शुरू किया, शुरुआत में 22 बंदियों को काम दिया गया। जूतों की डिमांड बढ़ने पर बड़ा जूता कारखाना संचालित होने लगा जहाँ बंदियों द्वारा प्रतिदिन 150 जोड़ी उच्च गुणवता के जूते तैयार किए जा रहे हैं।

वर्तमान में कई जूता फैक्ट्रियों द्वारा माल देकर भी यहां अपना आर्डर तैयार कराया जा रहा है। जिला जेल में आने वाले सामाजिक संगठनों को भी जूतों की गुणवत्ता पसंद आने पर उन्होंने भी सहयोग किया बंदी कारीगरों द्वारा तैयार जूते 300 से 1200 मूल्य पर जेल आउटलेट पर बिक रहे हैं। जेल प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं का मिला जुला यह प्रयास समाज निर्माण की दिशा में सराहनीय पहल है