देश के कई किसान प्राचीन पद्धति और आधुनिक यंत्रों के मिश्रण से खेती कर रहे हैं और अच्छा खासा लाभ भी कमा रहे हैं। उन्हीं में से एक हैं यूपी के मैनपुरी के रहने वाले किसान सिराज अजीम।
पिता की अंगुली पकड़कर खेती के गुण सीखने वाले किसान सिराज अब आधुनिक खेती के मास्टर बन गए हैं। सिराज न केवल अंजीर, काला अमरूद, माल्टा, आडू, नींबू समेत कई पौधों से फल उतारते हैं बल्कि वे निष्प्राण खेती में जैविक और देसी खाद से जान भी लौटाते हैं। पेप्सिको के लिए अनुबंध पर आलू पैदा करने वाले सिराज अन्य किसानों को खेती के नए-नए गुण भी सिखाते हैं। जैविक खेती से उनको कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
मैनपुरी के गांव सिकंदरपुर में दो दशकों से किसान सिराज अजीम माल्टा, किन्नू, अंजीर, सेब और मौसमी जैसे फल पैदा कर रहे हैं। यह डीएपी और यूरिया के स्थान पर वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। सिराज अपनी प्रयोगवादी सोच के कारण खेती में नई पहचान बनाकर कई पुरस्कार भी जीत चुके हैं। उन्होंने अपने आवास के आस-पास खाली जमीन पर अंजीर, काला अमरूद और चाइनीज नींबू समेत कई फलदार पौधे लगा रखे हैं।
सिराज कहते हैं कि रासायनिक खेती सेहत के लिए जहर है इसलिए वह केंचुओं से वर्मी कंपोस्ट द्वारा तैयार खाद का ही प्रयोग करते हैं। सिराज अब तक देसी खाद से ईरान और अफगानिस्तान में पैदा होने वाली अंजीर समेत कई देशों की फसलों की पैदावार कर चुके हैं। वह लहसुन, मुर्गी पालन, किन्नू, मौसमी और नींबू में बेहतर उत्पादन का पुरस्कार भी जीत चुके हैं।