जौनपुर, उत्तर प्रदश
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में जो घटना सामने आई है, वह कोई एकमात्र घटना नहीं है अपितु पूरे देशभर में फैले उस मजहबी षड्यंत्र की एक कड़ी है, जो सुनियोजित ढंग से हिंदू समाज की जड़ों को काटने में लगा है। महराजगंज थाना क्षेत्र के केवटली गांव में पुलिस ने पांच ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया, जो गली-कूचों में चुपचाप 'प्रार्थना सभा' के नाम पर हिंदू धर्म के विरुद्ध जहर उगल रहे थे। पकड़े गए आरोपियों पास्टर गुलाब चंद्र, सदीप कुमार, राम अनुज, राजेश कुमार और सुनील कुमार का उद्देश्य स्पष्ट था: गरीब, असहाय, भोले-भाले ग्रामीणों की आस्था को तोड़ना, उन्हें उनके धर्म से काटना और झूठे सपनों का जाल बिछाकर उन्हें मानसिक गुलामी में धकेल देना। इनके पास से जो बरामद हुआ, वह इनकी मानसिकता की असल तस्वीर है 10 बाइबल, 19 पॉकेट बुक्स, 74 मतान्तरण से जुड़ी किताबें, 124 फोटो वाला एक एल्बम – जिसमें उन चेहरों की तस्वीरें थीं, जिन्हें ये लोग पहले ही फांस चुके थे। यह मामला केवल मतान्तरण का नहीं, अपितु एक गहरे षड्यंत्र का हिस्सा है जहां हिंदू देवी-देवताओं की निंदा, सनातन पर सवाल और ईसाई धर्म के नाम पर झूठे वादे यही हथियार बन चुके हैं। इनकी मानसिकता वही है, जो कहती है – "हिंदू धर्म पिछड़ा है", "आपका ईश्वर कमजोर है", "आपका कर्म व्यर्थ है" और फिर इन्हीं शब्दों के सहारे यह एजेंडा आगे बढ़ता है। इन मिशनरियों की सोच मात्र मत बदलने की नहीं, संस्कृति मिटाने की है, परंपरा तोड़ने की है और भारत के आत्मस्वाभिमान को कमजोर करने की है। इनका टारगेट गरीब है, वंचित है, अनपढ़ है क्योंकि उन्हें लगता है कि वही आसानी से 'शिकार' बन सकता है। लेकिन अब देश जाग रहा है। सनातन की जड़ें जितनी गहरी हैं, उतनी ही उसकी चेतना भी तेज है। जौनपुर में जो हुआ, वह एक चेतावनी है, कि इन मजहबी षड्यंत्रकारियों के लिए अब गांव-देहात भी सुरक्षित नहीं रहे।