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सिद्ध संत की समाधि पर मजार बनाने का षड्यंत्र!

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सिद्धार्थनगर,यूपी

भारत की सनातन परंपरा में संतों और तपस्वियों की समाधियाँ केवल श्रद्धा के केंद्र नहीं होतीं, बल्कि वे हमारी सांस्कृतिक पहचान और आध्यात्मिक विरासत की जीवंत प्रतीक होती हैं। यह स्थल हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और समाज को धर्म, सेवा और सद्भाव का मार्ग दिखाते हैं।

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के चौखड़ा गांव में स्थित संत फागू बाबा की समाधि भी ऐसा ही एक पवित्र स्थान है, जहाँ पिछले 100 वर्षों से हर गुरुवार को भक्तगण मेला लगाते आए हैं। यह स्थल न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि सनातन परंपरा की एक जीवंत उदाहरण भी है। लेकिन आज यह समाधि स्थल एक बड़े षड्यंत्र का शिकार बन गया है। आरोप है कि कुछ लोग इस सिद्ध संत की समाधि को मजार का रूप देने का प्रयास कर रहे हैं और समाज में अंधविश्वास फैलाकर वहां अवैध वसूली और गतिविधियाँ चला रहे हैं। जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने इस गंभीर मामले को उठाया और प्रशासन से कार्रवाई की माँग करते हुए चेतावनी दी कि यदि इसे नहीं रोका गया तो वे वहाँ सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन करेंगे।

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 वही इस चेतावनी के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ। अपर पुलिस अधीक्षक प्रशांत कुमार और एडीएम गौरव श्रीवास्तव ने मामले की जाँच कर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। एसडीएम डॉ. संजीव दीक्षित और तहसीलदार रविकुमार यादव ने मौके पर पहुँचकर सभी गतिविधियों पर रोक लगाते हुए समाधि स्थल पर धारा 144 लागू कर दी, जो दो महीनों तक प्रभावी रहेगी। हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह भूमि पशुचर भूमि है और इस पर हुए अतिक्रमण की जाँच की जाएगी।

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फागू बाबा: सनातन संस्कृति के दिव्य साधक

मान्यता है कि संत फागू बाबा बाहर से आए एक सिद्ध तपस्वी थे, जो चौखड़ा गांव में वर्षों तक साधना में लीन रहे। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में कहा था कि मृत्यु के पश्चात उनकी समाधि एक पेड़ के नीचे बनाई जाए। समाधि बनने के बाद वह क्षेत्र, जो पहले बंजर था, हराभरा हो गया – और तब से ही वहाँ हर गुरुवार को भक्तों का मेला लगने लगा। आज, जब इस समाधि स्थल की सनातन पहचान को मिटाकर उसे मजार में बदलने की कोशिश हो रही है, तब समाज का जागना आवश्यक हो गया है। यह केवल एक धार्मिक स्थल की बात नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा की रक्षा का सवाल है।