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हमारी संस्कृति यज्ञमय संस्कृति है – डॉ. मोहन भागवत जी

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अलवर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक डॉ. मोहन भागवत जी 17 सितंबर, 2024 मंगलवार को प्रातः 10.00 बजे कोटपूतली बहरोड़ जिले में पावटा के पास बावड़ी स्थित बालनाथ आश्रम में चल रहे श्री महामृत्युंजय महायज्ञ में सम्मिलित हुए. देश में सुख शाति, सुरक्षा एवं प्रगति के लिए यज्ञ मण्डप में स्थित शिव परिवार का विधिवत पूजन किया. गुरु पीठ महत बस्तीनाथ जी को दुपट्टा, शॉल उड़ाकर श्रीफल भेंट कर आर्शीवाद प्राप्त किया. उनके साथ क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल जी भी उपस्थित रहे.

गुरुपीठ महंत बस्तीनाथ जी ने सरसंघचालक जी का महायज्ञ में पधारने पर आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए यज्ञ परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है. यज्ञ में बिना किसी भेदभाव तथा छुआछूत के सर्व हिन्दू समाज भाग ले रहा है.

सरसंघचालक जी ने वर्तमान परिस्थितियों में देश पर आने वाले संकटों का जिक्र करते हुए कहा कि संकटों की यह ताकत नहीं है कि यह भारत को मिटा सके, भारत जमीन मात्र नहीं. भारत में सनातन है. भारत के साथ सनातन धर्म है. सनातन धर्म के साथ भारत है. यज्ञ की विशेषताओं पर कहा कि हमारी संस्कृति यज्ञमय संस्कृति है. यज्ञ में हमें देना होता है, अपने पास से देना होता है.

उन्होंने कहा कि हम पंच महाभूतों को यहां अग्नि में आहूति डालते हैं, लेकिन इनके लिए काम करना समझ में आना चाहिए. जैसे पौधारोपण का बड़ा अभियान चल रहा है क्योंकि वृक्षों ने हमको दिया है. वो नष्ट नहीं हों, इसलिए पौधे लगाने चाहिए. समाज में जो हमारे बंधु गरीब हैं, पिछड़े हैं, उनकी उन्नति के लिए हमें अपने प्रयास करने चाहिए. उनको ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए.

संघ के शताब्दी वर्ष में व्यक्ति निर्माण के बारे में कहा कि बहुत सारे विचार दुनिया में है और उनके अनुसार चलने वाले लोग भी दुनिया में हैं. परन्तु एक विचार पैदा होकर सौ साल उन विचारों पर चलकर सत्य सिद्ध करने वाला आदमी उनके यहां नहीं है. हमारे यहां यह कृपा है कि आदि काल से अभी तक ऐसे अनेकों लोग हुए हैं जो प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं. उनको हम करते हुए देखते हैं, इसलिए हमारी श्रद्धा रहती है. ऐसा ही एक जिक्र गुरुदेव के बारे में किया गया है. उनकी कृपा है, इसलिए आज के इस यज्ञ का महत्व समझ कर हम अपने जीवन को भी बिना किसी भेद के जाति ना देखते हुए, भाषा प्रांत ना देखते हुए, एक दूसरे के प्रति सद्भावना मन में रखकर एक दूसरे की सहायता करते हुए जीवन जीते है, यह भी एक यज्ञ है. इस यज्ञ के बाद वो यज्ञ हमें सतत् चालू रखना है और भारत भूमि की सेवा करना हमारा कर्तव्य है.

महंत बस्तीनाथ जी ने सरसंघचालक जी को राष्ट्र की समृद्धि, सनातन की विजय तथा सर्व हिन्दू समाज की एकता के भाव को रखते हुए स्वर्णमण्डित सिद्ध श्रीयंत्र भेंट किया. साथ ही प्रतीक चिन्ह और दुप‌ट्टा पहनाकर आभार व्यक्त किया. सरसंघचालक जी ने गुरुपीठ परिसर में बिल्वपत्र का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया.