सरसंघचालक व अन्य अतिथि महाराज को आसन तक लेकर पहुंचे; कुंडलपुर में पदारोहण महोत्सव
दमोह. दमोह के जैन तीर्थ कुंडलपुर में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के उत्तराधिकारी के रूप में समय सागर जी महाराज ने आचार्य का पद स्वीकार कर लिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी सहित उपस्थित सभी अतिथि समय सागर जी महाराज को आसन तक लेकर पहुंचे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंच पर पहुंचकर आचार्य श्री का आशीर्वाद लिया. आचार्य समय सागर जी महाराज को सबसे ऊंचे आसन पर बैठाया गया. इससे पहले सोने-चांदी के कलश से उनके चरण धोए गए. कार्यक्रम का संचालन नियम सागर महाराज, प्रणाम सागर महाराज ने किया. चौक पूरने के बाद आचार्य श्री का आसन रखा गया. इसके बाद मुनि संघ ने समय सागर जी महाराज से पद स्वीकार करने का निवेदन किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी सहित लगभग दो लाख श्रद्धालु इस दिव्य महोत्सव के साक्षी बने.
नई पिच्छी प्रदान करने की परंपरा पूरी की गई. मुनिश्री ने संघ को पिच्छी दी. आर्यिकाओं ने आचार्य श्री को कमंडल दिया.
इस अवसर पर नियम सागर महाराज ने सभी से नए आचार्य समय सागर महाराज की वंदना करने की अपील की. मांगलिक क्रिया में सबसे पहले कलश स्थापना की गई. आचार्य पद ग्रहण करने की विधि शुरू हुई. एक के बाद एक पांच स्वर्ण कलश स्थापित किए गए. समय सागर जी महाराज से आचार्य पद स्वीकार करने का निवेदन किया गया. निवेदन के लिए सभी मुनिराज समय सागर महाराज के पास पहुंचे.
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज से मेरा परिचय पहली बार जबलपुर के ग्वारी घाट पर हुआ था. मैं पहली बार उनसे मिलने पहुंचा था. अध्यात्म का मुझे बहुत ज्यादा ज्ञान तो नहीं है. इसलिए आचार्य जी के सामने जाने से पहले मैं सोच रहा था कि क्या होगा. ये डर मेरे मन में था. लेकिन वहां जो उनका स्नेह मिला, उससे भय भी दूर हो गया और संकोच भी. विद्यासागर जी महाराज कहते थे कि भारत को भारत कहो, इंडिया मत कहो. क्योंकि भारत को भारत कहेंगे तो भारत को भारत समझकर जानेंगे.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा – ‘समय सागर जी महाराज का आचार्य पदारोहण हम सबके लिए सौभाग्य की बात है. हमें उनका मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहेगा’. सागर में आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज बनने वाला है. उसका नाम आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के नाम पर रख दिया है. अपने जीवन काल में वो जीते जी देवत्व को प्राप्त कर गए. सभी मुनियों, समस्त साधकों को प्रणाम करता हूं.