- एआई संचालित खंभे, 30 पैंटून पुल, और 600 किमी लंबी सड़कों से सुसज्जित यह आयोजन देश-विदेश से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।
- 13 अखाड़ों के शिविरों में धार्मिक कार्यक्रम जारी हैं। यहां भगवा और सफेद वस्त्रधारी संत, महंत और महामंडलेश्वर अपनी परंपराओं का पालन करते हुए साधना में लीन हैं।
प्रयागराज। प्रयागराज में तीर्थराज कुंभ मेले की रेत पर संतों की आकाशगंगा बस चुकी है। 4,000 हेक्टेयर में फैले इस कुंभ नगर में आधुनिक तकनीक और सनातनी परंपरा का अद्भुत मेल दिखाई देता है। एआई संचालित खंभे, 30 पैंटून पुल, और 600 किमी लंबी सड़कों से सुसज्जित यह आयोजन देश-विदेश से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।
आस्था का उत्सव -
संगम के किनारे बने कुंभ नगर में संतों, महंतों और श्रद्धालुओं की चहल-पहल है। यहां परंपरागत साधना और आधुनिक तकनीक का अनूठा संगम है। श्रद्धालु गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। कुछ लोग वीडियो कॉल के जरिए अपने घरों में संगम की रेत और गंगा जल का आभास करा रहे हैं।
अखाड़ों की परंपराएं और पेशवाई -
13 अखाड़ों के शिविरों में धार्मिक कार्यक्रम जारी हैं। यहां भगवा और सफेद वस्त्रधारी संत, महंत और महामंडलेश्वर अपनी परंपराओं का पालन करते हुए साधना में लीन हैं। अखाड़ों में भजन, कथाएं और सत्संग हो रहे हैं। पेशवाई के दौरान अखाड़ों का स्वागत किसी राजसी बारात की तरह हो रहा है। बैंड बाजे, मालाओं और प्रसाद के साथ अखाड़ों की शोभायात्रा हर दिन मेले में रौनक भर रही है।
डिजिटल युग का सतयुग -
इस बार का कुंभ मेला डिजिटल युग के सतयुग की झलक दिखाता है। हर कोने में एआई संचालित खंभे, चैटबॉट, और सीसीटीवी कैमरे सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान रख रहे हैं। साधुओं और श्रद्धालुओं के हाथ में स्मार्टफोन और गले में रुद्राक्ष का मेल आधुनिकता और आध्यात्मिकता की एक नई तस्वीर पेश करता है।
अन्नक्षेत्र और सेवा -
हर अखाड़े में अन्नक्षेत्र की व्यवस्था है। भगवा और सफेद शिविरों में दिन-रात भोजन सेवा जारी है। यहां हर वर्ग के लोग एक साथ पंगत में बैठकर भोजन करते हैं। परोसने वाले सेवा भाव से कहते हैं, सब्जी राम, रोटी राम, दाल राम।
साधु-संतों की विविधता -
कुंभ में नागा साधुओं से लेकर आधुनिक संतों तक, हर प्रकार के साधु देखने को मिल रहे हैं। हठ योगी और विशेष साधना करने वाले साधु, जैसे एक पैर पर खड़े बाबा या लंबे बालों वाले संत, श्रद्धालुओं और मीडिया का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
सुरक्षा और व्यवस्थाएं -
कुंभ मेले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। हर अखाड़े के गेट पर सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं। कुंभ क्षेत्र में टॉयलेट, टेंट और यातायात की व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए हजारों कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं।
संतों की नई पीढ़ी -
संतों की नई पीढ़ी आधुनिक तकनीक से जुड़ी है। उनके पास स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, और आधुनिक कुटिया में एसी और मॉड्यूलर किचन तक की सुविधाएं हैं। इन युवा संतों में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और उसके आधुनिक स्वरूप को लेकर चर्चा हो रही है।
कुंभ मेला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का भव्य उत्सव है। इस बार का कुंभ मेले ने आस्था और आधुनिकता का एक नया अध्याय लिखा है, जो दुनिया के लिए भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलक पेश करता है।