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कट्टरपंथी नेतृत्व मुस्लिम समाज को आत्मघाती रास्ते की ओर ले जा रहा – डॉ. सुरेंद्र जैन

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नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि कट्टरपंथी नेतृत्व मुस्लिम समाज को आत्मघाती रास्ते की ओर ले जा रहा है. उन्होंने मुस्लिम समाज का आह्वान किया कि वह स्वयं को इस कट्टरपंथी नेतृत्व से दूर रखे जो समाज को संघर्ष की ओर धकेल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में, माननीय न्यायालय के आदेश से हिन्दुओं को पूजा करने का अधिकार मिला. आज से 30 साल पहले, बिना किसी लिखित आदेश के, तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने, अवैध रूप से, मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिन्दुओं को पूजा करने के इस अधिकार से वंचित किया था. नंदी बाबा के आगे सींखचे लगा दिए थे. हिन्दुओं के साथ जो अन्याय किया था, माननीय न्यायपालिका ने उस अन्याय को न्यायोचित ढंग से ठीक किया. प्रत्येक देशवासी को इसका अभिनंदन करना चाहिए. किसी भी वर्ग के साथ अगर अन्याय हुआ है और न्यायपालिका उसको ठीक करती है, तो वह निर्णय सब के लिए स्वागत योग्य होना चाहिए. लेकिन जिस प्रकार कुछ कट्टरपंथी नेताओं ने न्यायपालिका के निर्णय पर मुस्लिम समाज को भड़काकर हिंसा व उपद्रव कराने की कोशिश की है, वह घोर आपत्तिजनक और निंदनीय है.

उन्होंने कहा कि एक ओर वो न्यायपालिका में अपील के लिए भी जा रहे हैं, वहीं सड़कों पर दंगे कराने हेतु भड़का भी रहे हैं! वे बयान देते हैं कि मुस्लिम समाज का न्यायपालिका से विश्वास उठ रहा है. कभी वो कहते हैं कि – “हमारे सब्र का बांध टूट रहा”, कभी कहते हैं कि “हमारी आस्था कोर्ट से ऊपर है”, “न्यायपालिका जिस रास्ते पर जा रही है वो उचित नहीं है”. जब भी कोई निर्णय मुल्ला– मौलवियों की इच्छा के विरुद्ध या उन के कट्टरपंथी षड्यंत्रों के विरुद्ध आता है, वे न्यायपालिका को धमकाने से बाज नहीं आते. उन्हें समझना चाहिए कि भारतीय न्यायपालिका, डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के बनाए संविधान के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों के अंतर्गत ही काम कर रही है. मामला चाहे शाहबानो का हो या हिजाब का, तीन – तलाक का हो या समान नागरिक संहिता का, यहाँ तक कि अयोध्या मामले में भी सर्वोच्च न्यायालय के विरुद्ध इनका विष-वमन आज तक जारी है.

डॉ जैन ने कहा कि ये कट्टरपंथी नेतृत्व, मुस्लिम समाज को आत्मघाती रास्ते की ओर ले जा रहा है. जो कदापि उचित नहीं है. मैं मुस्लिम समाज से भी अपील करना चाहता हूं कि वो ऐसे नेतृत्व को ठुकरा कर ऐसे नेतृत्व को स्थापित करे जो सह-अस्तित्व में विश्वास करता है. जो अन्याय व अत्याचार मुलायम सिंह जैसे राजनेताओं या विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा किए गए, उस अन्याय के साथ खड़ा होने वाला समाज किसी भी तरह से सह-अस्तित्व के मार्ग पर नहीं चल सकता, ये उनके लिए भी प्रगति का मार्ग नहीं है.