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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से वास्तव में राम राज्य की शुरुआत हो गई है - सुनील आंबेकर जी

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नई दिल्ली, 17 अप्रैल 2024 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर जी ने कहा कि भगवान राम ने कहा है कि वह सबके है, यह भाव जिन तक नहीं पहुंचा है उन तक यह भाव सभी माध्यमों से पहुँचाना जरुरी है। उन्होंने यह बात सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक रामजन्मभूमि तथा रामजन्मभूमि कॉमिक के विमोचन के अवसर पर कही। रामजन्मभूमि पुस्तक के लेखक श्री अरुण आनंद है एवं रामजन्मभूमि कॉमिक को डॉ. अमित कुमार वार्ष्णेय ने लिखा है।
मुख्य वक्ता श्री सुनील आंबेकर जी ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हम उस युग में उपस्थित हैं जब अयोध्या में राम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय जैसा माहौल था उससे हम यह कल्पना कर सकते हैं कि जब प्रभु राम वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए तब उसे समय अयोध्या में कैसा माहौल रहा होगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से वास्तव में राम राज्य की शुरुआत हो गई है।
उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में अपने सम्मान के लिए इतना लंबा संघर्ष नहीं हुआ जितना राम मंदिर के लिए हुआ। विश्व की कई सभ्यताएं मिट गई लेकिन हम आज भी है। राम मंदिर के संघर्ष से जुड़े विषय आम जनता तक जाना चाहिए। हमें पूरी दुनिया को बताना होगा कि राम मंदिर क्या है और उसका महत्व क्या है?
श्री सुनील आंबेकर जी ने कहा कि जहां अस्तित्व का प्रश्न है, अपनी अस्मिता का प्रश्न है, वहां संघर्ष होना चाहिए। जो समाज ऐसी परिस्थितियों में संघर्ष नहीं करता है वह मिट जाता है।
इस अवसर पर आध्यात्मिक गुरु श्री अनीश जी ने कहा कि भारत की सभ्यता पौराणिक सभ्यता है। वह अंतर्मुखी रही क्योंकि हमें जीवन के रहस्य को जानना था। यही कारण है कि हमारी सभ्यता आज तक मिट नहीं पाई।
रामजन्मभूमि पुस्तक के लेखक श्री अरुण आनंद ने कहा कि राम मंदिर सभ्यता की मूल्यों की लड़ाई का प्रतीक है।
रामजन्मभूमि कॉमिक के लेखक डॉ अमित कुमार वार्ष्णेय ने कहा कि यह कॉमिक पुस्तक स्मृतियों का संकलन है।