नीम-तुलसी के साबुन से आत्मनिर्भर हुई ऋषिकेश की महिलाएं
उत्तराखंड के ऋषिकेश में महिलाओं ने एक अनोखी पहल की है, उन्होंने शुद्ध, प्राकृतिक और पूरी तरह केमिकल-फ्री नीम-तुलसी साबुन बनाना शुरू किया है,
जो न केवल त्वचा को लाभ पहुंचाता है, बल्कि
स्वदेशी रोजगार का भी माध्यम बन रहा है ।
आज की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की राह में बिना रुके आगे बढ़ रही हैं, और स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर
सफलता के उदाहरण दे रही हैं। ऐसी ही एक
सफलता की कहानी ऋषिकेश की महिलाओं ने प्रस्तुत की हैं। जहां वो शुद्ध, प्राकृतिक
और पूरी तरह केमिकल-फ्री नीम-तुलसी साबुन बना रही हैं। जो न केवल त्वचा को लाभ
पहुंचाता है, बल्कि स्वदेशी रोजगार का भी माध्यम बन रहा है।
इसी कड़ी में श्यामपुर निवासी ईशा कलूड़ा बताती हैं कि उन्हें हस्तशिल्प कला में
गहन रुचि है, इसीलिए वह स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर हर
त्योहारों में कुछ न कुछ विशेष बनाती हैं ।
इस बार स्व-सहायता समूह के जरिए महिलाएं यह साबुन बना रही हैं, जिसमें मुख्य रूप से नीम और तुलसी के पत्तों का उपयोग होता है । ये साबुन पूरी तरह से प्राकृतिक है। बता दे यह साबुन पूरी तरह से हस्तनिर्मित है। इसे किसी मशीन से नहीं, बल्कि महिलाएं अपने हाथों से तैयार करती हैं । यह साबुन त्वचा के लिए अनुकूल है और नाजुक त्वचा वालों के लिए भी सुरक्षित है, और 60 रुपए की कीमत में मिलने वाला ये साबुन न सिर्फ लोगों की त्वचा के लिए अच्छा है।
बल्कि ये ऋषिकेश की महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का माध्यम बन गया है।
इसकी बिक्री स्थानीय बाजारों और मेलों में होती है,और कुछ
समूह इसे ऑनलाइन भी बेचने की तैयारी में हैं। इन
परिश्रमी महिलाओ ने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प से यह तो
सिद्ध कर दिया कि कम संसाधन में भी सच्ची निष्ठा से काम करने पर सफलता मिल सकती
हैं, और मेहनत से पूरी दुनिया को जीता जा सकता है।