रुद्रप्रयाग की बीना नेगी मिश्र मणिगुह गांव को उत्तराखंड
का पहला पुस्तकालय गांव बना रहीं है। पुस्तकालय का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। मणिगुह
विलेज पुस्तकालय में विभिन्न विषयों और भाषाओं की चार हजार किताबें अभी उपलब्ध हैं।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी के शुभ दिन पर पुस्तकालय का विधिवत उद्घाटन
किया जाएगा।
यहां एक सेंट्रल लाइब्रेरी के अलावा जगह जगह पढ़ने की
व्यवस्था भी की जाएगी. सेंट्रल लाइब्रेरी में दुर्लभ किताबें और कुछ पाण्डुलिपियां
भी उपलब्ध होंगी। हर घर में जरूरी किताबें होंगी। बच्चों को स्मार्ट क्लास के
अलावा कम्प्यूटर की शिक्षा भी दी जायेगी। इस पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर
किताबों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए जरूरी पाठ्य पुस्तकें
भी उपलब्ध होंगी। चूंकि उत्तराखंड तीर्थों की भूमि है, इसलिए इन युवाओं ने इस गांव में पुस्तकालय को
घर-घर पहुंचाने के लिए पुस्तक मंदिरों की योजना भी बनाई है, जो भारत में अपनी तरह का पहला प्रयास है। इन
छोटे मंदिरों में पुस्तकें रखी जायेंगी। इन्हें रीडिंग स्पॉट की तरह उपयोग में
लाया जायेगा। ये मंदिर भी दिसंबर तक बनकर तैयार हो जायेंगे। इस प्रकार पुस्तकालय
गांव को एक पुस्तक तीर्थ की तरह विकसित किया जाएगा, जो पर्यटकों के
लिए एक नया आकर्षण होगा।
बीना नेगी मिश्र ने बताया उन्हे यह प्रेरणा महाराष्ट्र में
स्थित पुस्तकांचे गांव से मिली। जहां इस गांव को पुस्तकों का गांव बनाया गया है।
अगस्त्यमुनि न्याय पंचायत के दूरस्थ गांव बांजगड्डू की बीना नेगी मिश्र एमबीए करने के बाद दिल्ली की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत थीं, मगर वह अपने गांव को नहीं भूल पाई। जिस गांव ने उन्हें इतना सब कुछ दिया उसके लिए कुछ कर गुजरने के संकल्प के साथ वह नौकरी छोड़कर वापस गांव आ गई और इस अभिनव प्रयास में जुट गईं।