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प्रयागराज : वेदव्रत शुक्ला बने सलीम अंसारी ने बताई ‘सनातन धर्म’ में ‘घर वापसी’ की वजह

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हाल ही में प्रयागराज के रहने वाली सलीम अंसारी ने सनातन धर्म में घर वापसी कर ली। इसके साथ ही उन्होंने अपना नाम बदलकर वेदव्रत शुक्ला रख लिया। मूल रूप से प्रयागराज के घूरपुर के अंतर्गत आने वाले सारंगापुर गांव के रहने वाले वेदव्रत ने सनातन धर्म में घर वापसी करने की बात का खुलासा करते हुए बताया कि बचपन से वो देखते आ रहे हैं कि उनके अब्बू वाजिद अली अक्सर सलीम की अम्मी पर जुल्म ढाता रहता था। सलीम के सामने भी कई बार उसके अब्बू ने उसकी अम्मी को बुरी तरह से मारा-पीटा। लेकिन हर बार आसपास रहने वाले हिन्दू ही उसकी अम्मी को अब्बू के कहर से बचाते थे।

बस सलीम को यही बात अच्छी लगती थी। सलीम अपनी अम्मी के करीब है। ऐसे में जब भी उसकी अम्मी को हिन्दू परिवार बचाते थे, तो उसे धीरे-धीरे ये समझ आया कि हिन्दुओं में दया और करुणा का भाव है। अक्सर ऐसा ही होता था कि सलीम की अम्मी को हिन्दू ही बचाते थे, जिससे सलीम को सनातन धर्म में रुचि जागने लगी। आज सलीम करीब 25 वर्ष का हो चुका है और 10 वर्ष पहले उसके अब्बू की भी मृत्यु हो गई। तभी से वो अपनी अम्मी का इकलौता सहारा है। अब्बू की मौत के बाद सलीम अपनी अम्मी के साथ प्रयागराज के ही म्योराबाद में रहता है। वो आटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है।

सलीम का कहना है कि उसे लगता है कि हिन्दू धर्म में महिलाओं को सम्मान दिया जाता है। सलीम लंबे वक्त से सनातन धर्म में घर वापसी की कोशिशों में लगा हुआ था। इसी बीच 31 जनवरी के दिन उसे एक पेम्फलेट मिला। उसमें उसे झूंसी स्थित कैलाश धाम में एक धार्मिक कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली तो वहां जाकर वो स्वामी कृष्णानंद से मिला और उनसे घर वापसी कराने का अनुरोध किया।

बाद में सलीम की वैदिक धर्म के अनुसार सनातन धर्म में घर वापसी कराई गई। इसी के साथ सलीम ने अपना नाम वेदव्रत शुक्ला रख लिया। सलीम बताते हैं कि उन्हें नया नाम वेदव्रत बहुत ही अधिक पसंद है, क्योंकि वो अपने बचपन से ही सनातन धर्म से लगाव रखते थे। अब वो अफना अधिकतर वक्त आश्रम में बिताता है और वहां उसे वेदों के प्रचार-प्रसार का काम दिया गया है।