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सुरक्षा केवल सरकार या सेना की ज़िम्मेदारी नहीं, नागरिकों का सतर्क होना भी आवश्यक – दत्तात्रेय होसबाले जी

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मुंबई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि आज की बदलती दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा केवल बाहरी खतरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि आंतरिक चुनौतियाँ भी उतनी ही गंभीर हो गई हैं। वे मुंबई में आयोजित ‘हिमांशु रॉय लिगेसी अवार्ड’ समारोह में विशेष अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “आज हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जो अत्यधिक तकनीकी रूप से जुड़ी हुई है और जहाँ खतरे नए रूपों में सामने आ रहे हैं। आज सुरक्षा के खतरे सिर्फ सीमाओं पर नहीं हैं, बल्कि साइबर अटैक, ड्रोन के माध्यम से घुसपैठ, और डिजिटल जासूसी जैसे नए और जटिल खतरे भी हमारे सामने हैं। ये चुपचाप चलने वाले युद्ध हैं जो देश के भीतर से हमारी व्यवस्था को निशाना बना रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सेना, खुफिया तंत्र अथवा सरकार की एकमात्र ज़िम्मेदारी नहीं रह गई है। इसके लिए समाज के प्रत्येक नागरिक को सतर्क, सजग तथा उत्तरदायी बनना आवश्यक है। “हमारे राष्ट्र की सुरक्षा केवल सीमाओं पर खड़े वीर सैनिकों के बलबूते नहीं, अपितु प्रत्येक गली, मोहल्ले, गाँव और नगर में रहने वाले जागरूक नागरिकों से होती है।”

सरकार्यवाह जी ने उल्लेख किया कि “वर्ष २०१४ के उपरांत जम्मू कश्मीर के बाहर देश में कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ है। यह संयोग नहीं, अपितु हमारी सीमाओं की सशक्त निगरानी, सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, तथा हमारी सेनाओं को आधुनिक तकनीक, हथियार और प्रशिक्षण से सुसज्जित करने के सुनियोजित प्रयासों का परिणाम है।”

उन्होंने आगाह भी किया कि इस मजबूती को बनाए रखने के लिए देश की ‘विविधता में एकता’ की सनातन परंपरा व भावना को और अधिक सशक्त करना होगा। यह हमारी सांस्कृतिक पहचान की आधारशिला है। “हमारे विरोधी – चाहे वे बाहरी हों या भीतर छिपे हुए – हमारी इसी एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वे सांप्रदायिक उन्माद, भाषा-विवाद, क्षेत्रीय असंतोष और जातीय तनाव जैसे माध्यमों से हमें विभाजित करने का षड्यंत्र रचते हैं।”

उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शन हों, किसानों के नाम पर आंदोलन हों या अन्य अवसरों पर उत्पन्न अव्यवस्था – ये सभी षड्यंत्र एक ही दिशा में इंगित करते हैं… राष्ट्र की एकता को खंडित करना। “हमें इन षड्यंत्रों को समझना होगा और इनके विरुद्ध एकजुट होकर खड़ा होना होगा।”

देशवासियों से आह्वान किया कि “आइए, हम अपने मतभेदों से ऊपर उठकर अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को सर्वोपरि रखते हुए अपने दायित्व को सर्वोपरि मानते हुए, सजग, उत्तरदायी एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक बनें।

समारोह के अंत में सरकार्यवाह जी ने दिवंगत आईपीएस अधिकारी हिमांशु रॉय की स्मृति में उनके नाम से स्थापित ‘हिमांशु रॉय लिगेसी पुरस्कार’ की स्थापना हेतु रॉय एवं त्रिपाठी परिवार को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि “हिमांशु रॉय साहसी, निष्ठावान, और जनहितकारी अधिकारी थे। उनके नाम पर चिकित्सा, संगीत और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विविध क्षेत्रों में यह पुरस्कार शुरू करना उनके मूल्यों और सेवा भाव को जीवित रखने का सराहनीय प्रयास है।”