• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

नेपाल से आईं शालिग्राम शिलाएं विधि-विधान से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को सौंपीं

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

नेपाल की कालीगंडकी नदी से प्राप्त दो विशाल शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुंच गई. शिलाएं बुधवार को शाम ही नेपाल से कारसेवकपुरम पहुंच गई थीं. गुरुवार को विधि विधान पूर्वक नेपाल स्थित प्राचीन मिथिला की राजधानी जनकपुर के जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास और नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय को समर्पण पत्र के माध्यम से भेंट किया.

इससे पूर्व 51 वैदिक आचार्यों ने विधि विधान से शिलाओं का पूजन किया. शिला समर्पण समारोह संक्षिप्त सभा के रूप में हुआ और वक्ताओं ने इस अवसर को नेपाल और अयोध्या के प्राचीन संबंधों को नई ऊर्जा प्रदान करने वाला बताया. जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास ने जयकारा लगवाकर अयोध्या और नेपाल के त्रेता युग के संबंधों को पुनर्जीवित किया.

नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री ने बताया कि पहले वह जनकपुर से जुड़ी श्रीराम की विरासत के अनुरूप रामलला के लिए धनुष भेंट करना चाहते थे, किंतु श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के साथ दो वर्ष तक चले संवाद के बाद यह तय हुआ कि नेपाल की गंडकी नदी से रामलला की मूर्ति के लिए पवित्र शिला अर्पित की जाए और यह शिला समर्पित करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है. चंपतराय ने शालिग्राम शिला समर्पित करने के लिए जनकपुर मंदिर, नेपाल सरकार और वहां के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया.

शिला का स्वागत करने के लिए इस दौरान बड़ी संख्या में साधु संत एवं अयोध्यावासी उपस्थित रहे. इनमें जगद्गुरु परमहंस आचार्य, गुरुद्वारा ब्रह्म कुंड के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह, बबलू खान, कारसेवकपुरम के प्रभारी शिवदास सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे. इस बीच शालिग्राम शिला को शिरोधार्य करने की होड़ मची रही. कोई उसके आगे नतमस्तक हो रहा था, कोई उस पर टीका लगा रहा था, तो कोई शिलाओं के साथ सेल्फी ले रहा था.

इनपुट – दैनिक जागरण