- पांच वादों की सुनिवाई का रास्ता साफ
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि और इसके बगल में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है विवाद
- मुस्लिम पक्ष के दावों को कोर्ट ने किया खारिज
- औरंगज़ेब के शासनकाल में हुआ था मस्जिद का निर्माण
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्वामित्व विवाद में हाल ही में मस्जिद पक्ष को बड़ा झटका लगा है। यह विवाद उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और इसके बगल में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है। विवाद इस बात को लेकर है कि मस्जिद जिस जगह पर स्थित है, वह वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। इस मुद्दे पर कई वर्षों से कानूनी लड़ाई चल रही है।
हाल ही में, अदालत ने मस्जिद पक्ष के खिलाफ फैसला सुनाया है, जिससे श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 5 मामलों की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। इन पांचों मामलों में यह दावा किया गया है कि मस्जिद को उस जमीन से हटाया जाना चाहिए, क्योंकि वह भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बनी हुई है। मस्जिद पक्ष ने इस दावे का विरोध किया था, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया और इन मामलों की सुनवाई को आगे बढ़ने दिया।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद एक ऐतिहासिक और संवेदनशील मामला है। यह विवाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मस्जिद के अस्तित्व को लेकर है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि जिस स्थान पर शाही ईदगाह मस्जिद स्थित है, वह असल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है, और वहां पर मंदिर हुआ करता था। इस मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल में हुआ था, और इसके बारे में माना जाता है कि इसे एक प्राचीन हिन्दू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।
विवाद का पृष्ठभूमि-
यह विवाद कई दशकों से चल रहा है, लेकिन 2020 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास और अन्य हिन्दू संगठनों ने इस मस्जिद को हटाने की मांग के साथ एक नई कानूनी लड़ाई शुरू की। उनका कहना है कि यह जमीन भगवान कृष्ण के जन्मस्थान का हिस्सा है और मस्जिद को वहां से हटाया जाना चाहिए। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष और शाही ईदगाह ट्रस्ट का कहना है कि 1968 में हुए एक समझौते के तहत यह विवाद पहले ही सुलझा लिया गया था, और उस समझौते के अनुसार यह जमीन मस्जिद के पास बनी रहनी चाहिए।
हालिया अदालत का फैसला-
इस विवाद में हाल ही में एक अहम मोड़ आया है। मथुरा की जिला अदालत ने शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष को झटका देते हुए 5 मामलों की सुनवाई को आगे बढ़ाने का आदेश दिया है। यह मामले श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी जमीन के स्वामित्व और मस्जिद को वहां से हटाने की मांग को लेकर दायर किए गए हैं। मस्जिद पक्ष ने इन मामलों को खारिज करने की अपील की थी, लेकिन अदालत ने यह अपील ठुकरा दी और मामलों की सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया।
5 वादों की सुनवाई-
अदालत के इस फैसले के बाद अब उन 5 मामलों पर सुनवाई शुरू हो सकेगी जिनमें हिन्दू पक्ष ने मस्जिद को हटाने और जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अधिकार में देने की मांग की है। ये वाद मुख्य रूप से यह दावा करते हैं कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से हिन्दू धर्मस्थल को नुकसान पहुंचाकर किया गया था, और इसे हटाया जाना चाहिए। हिन्दू पक्ष की मांग है कि इस जमीन पर सिर्फ श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर होना चाहिए।
वर्तमान स्थिति-
अदालत के इस फैसले से हिन्दू पक्ष को बड़ी जीत मिली है, क्योंकि अब उनके दावे पर कानूनी रूप से सुनवाई शुरू हो सकेगी। मस्जिद पक्ष के लिए यह फैसला चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अब उन्हें अदालत में अपने दावे को सही साबित करना होगा। यह विवाद कई धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है, और इसका फैसला व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
भविष्य की दिशा-
अब आगे की सुनवाई में यह देखा जाएगा कि अदालत किस तरह से दोनों पक्षों की दलीलों को सुनती है और किस आधार पर फैसला करती है। मथुरा का यह मामला अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद के समानांतर देखा जा रहा है, जिसने भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया था।