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लघु उद्योगों से संवर रही लाखों की जिन्दगी

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माना जाता है कि करोड़ों अरबों की फैक्ट्रीयों से ही देश का आर्थिक विकास होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। देश की आर्थिक उन्नति में जितना योगदान बड़े उद्योग देते हैं उससे अधिक योगदान लघु उद्योगों का है। क्योंकि यह लघु उद्योग छोटे-छोटे कस्बों और नगरों में न केवल हजारों लोगों को रोजगार देते हैं बल्कि उसे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति का खाका भी खींचते हैं।

इस बात को ठीक से समझने के लिए हम आपको ले चलते हैं देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 30 किलोमीटर दूर स्थित बागपत में, जहां एक समय अपराध से पनपी असुरक्षा की भावना और बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते कोई भी व्यापारी उद्योग धंधा नहीं करना चाहता था। लेकिन वक्त बदला और 2017 में प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी।

योगी सरकार ने अपराध तंत्र का तो सफाया  किया ही, उद्योग धंधों के लिए भी नई नीतियां बनाई जिसका असर यह हुआ है कि जो बागपत औद्योगिक विकास में मीलों पीछे था वहां आज 1000 से अधिक लघु औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं जिनमें 15000 लोगों को रोजगार मिल रहा है। बागपत की इन इकाइयों का वार्षिक टर्नओवर 2000 करोड रुपए के आस पास है। 

बागपत के मेलामाइन डिनर सेट, ज्वेलरी, पैकेजिंग, शहद, फ्रोजन फूड तथा बेडशीट, चादर, पायदान जैसे हैंडलूम उत्पादों की देश-विदेश में खासी धूम है। कंडेरा गांव स्थित एम्ब्रेशिया कंपनी को लीजिए, जहां तैयार शहद की विदेश में मांग रहती है। साफ है कि लघु उद्योगों के पनपने से लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रोजगार मिला है अर्थव्यवस्था मजबूत होने से बागपत में खुशहाली बढ़ी है। आने वाले समय में बागपत में लघु उद्योगों की और इकाइयां भी लगने वाली हैं, क्योंकि यहां सुरक्षा है, बेहतर सड़कें हैं, नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे हैं, बिजली, पानी है। मेरठ, गाजियाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद, सोनीपत और पानीपत जैसे औद्योगिक विकास के ट्रैक पर दौड़ रहे जिले बागपत से ज्यादा दूर भी नहीं हैं और अच्छी सड़कों का नेटवर्क विकसित होने से ट्रांसपोर्टेशन भी सुविधाजनक हो गया है।

ऐसा ही दूसरा उदाहरण है देश की राजधानी दिल्ली से सटे हुए गाजियाबाद का। जो एक समय अच्छा इंडस्ट्रियल क्षेत्र हुआ करता था लेकिन अपराध और सुविधाओं की कमी के चलते गाजियाबाद अपनी औद्योगिक छवि को खो बैठा था। सरकार की नीतियों और लघु उद्योग को प्रोत्साहन के चलते गाजियाबाद आज फिर से देश के आर्थिक विकास के ट्रैक पर लौट आया है और प्रदेश की तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में यहां उद्योगों की संख्या में भी आशातीत वृद्धि हुई है। उद्यम पंजीकरण कराने में गाजियाबाद जिला प्रदेश में दूसरे स्थान पर है।

वहीं, बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने में भी अग्रणी है। यहां उद्योग बढ़े तो रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। देश के अलग- अलग प्रदेशों से रोजगार की तलाश में आए लोगों को गाजियाबाद अपने आंचल में समेट लेता है। पिछले चार वर्षों के आंकड़ों को देखें तो देश के विभिन्न भागों से आए 8 लाख से अधिक लोगों को गाजियाबाद के उद्योगों ने रोजगार दिया है।

खास बात यह है कि जिले में लघु उद्योग सबसे तेज गति से बढ़े हैं। इस श्रेणी के सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्योगों की संख्या करीब 33 हजार से अधिक पहुंच गई है। लगभग सात सौ करोड़ के निवेश के साथ छोटे बड़े सभी उद्योग मिलकर 11 लाख से अधिक उद्योग इकाइयां गाजियाबाद में कार्यरत है। स्पष्ट है कि जहाँ लघु उद्योग छोटे गांव और कस्बों को प्रगति पथ की ओर  अग्रसर कर रहे हैं वहीँ बड़े शहरों को लाखों लोगों के लिए आजीविका देने का केंद्र बना रहे हैं।