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पर्यावरण और गो संरक्षण संग स्वावलंबन को गति दे रही गोकाष्ठ फैक्ट्री

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दूध छूटने पर गाय को बेसहारा छोड़ देने वालों को अब शायद अफसोस हो, उनको लगता था कि दूध के बिना तो वह बोझ बन जाती हैंकानपुर के सुपारी कारोबारी और उन्नाव के सहजनी के रहने वाले अशोक गुप्ता ने उनकी इस धारणा को झुठला दिया।एक साल पहले गोकाष्ठ बनाने का काम शुरू करने वाले अशोक का दावा है कि उनके पास डिमांड इतनी है कि वह पूरी नहीं कर पा रहे हैं।

अशोक हर माह 600 टन से अधिक गोकाष्ठ की सप्लाई कानपुर व लखनऊ की खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री को कर रहे हैं।

सबसे अधिक डिमांड बावर्ची, मयूर, फार्च्यून रिफाइंड बनाने वाली फैक्ट्रियों में है। गोकाष्ठ फैक्ट्री में कच्चे माल (गोबर) की सप्लाई के लिए उन्होंने 30 ग्राम प्रधानों से संपर्क कर रखा है। इनके गांव की गोशालाओं में संरक्षित करीब चार हजार गायों के गोबर को वह सीधे गोशाला से उनके कारखाने भिजवाते हैं।

एक गाय रोज औसतन 20 किलो गोबर देती है। ऐसे में 30 ग्राम पंचायतों से प्रतिदिन 80000 किलो यानी 80 टन गोबर का प्रबंध होता है। अशोक ने श्री राधिका ट्रेडर्स नाम से उद्यम लगाया है।

इसमें अपने पास से 15 लाख रुपये खर्च किये थे। इसके बाद बीते चार माह पहले जिला खादी ग्रामोद्योग से 10 लाख का लोन लेकर गोकाष्ठ निर्माण के उद्यम का विस्तार किया।