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संघ कार्यकर्ता विकास वर्ग का समापन समारोह हुआ संपन्न

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हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्र का कार्यकर्त्ता विकास वर्ग – प्रथम (सामान्य) 30 मई से टिप्पर, हमीरपुर में चल रहा था। 19 जून को वर्ग के समापन समारोह का आयोजन किया गया।

वर्ग के समापन समारोह में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी जी ने कहा कि भारत अब जाग उठा है तथा वह अब अपने शत्रुओं पर निर्णायक प्रहार कर उन्हें दुर्बल करने का प्रचंड साहस और अधिकार रखता है। ऑपरेशन सिंदूर इसका ही जीता जागता और दुनिया को प्रभावी सन्देश देने वाला कदम था। भारतीय नेतृत्व और सेना ने शत्रु को उसकी अनाधिकृत चेष्टा व शक्ति को गहरी चोट पहुंचाने तथा भविष्य में वह फिर ऐसी हिमाकत न कर सके, इसी उद्देश्य से ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से इसके व्यापक, आशाजनक व दूरगामी परिणाम सामने आए हैं। इससे आज राष्ट्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है। इसके साथ-साथ भारत की समरिक शक्ति का अनुभव सारी दुनिया ने भी लिया है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय समाज में ऐसी शक्ति और विश्वास की जागृति का कारण है सौ वर्षों की संघ साधना यात्रा। आज समय आ गया है कि समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति, यहाँ तक कि समाज के अंतिम व्यक्ति को भी देशहित में सक्रिय करना है। यही संघ का संकल्प है। संघ शताब्दी वर्ष में संघ का प्रयास होगा कि संघ घर-घर तक पहुंचे तथा समाज पंच परिवर्तन के माध्यम से व्यापक परिवर्तन का वाहक सिद्ध हो।

समारोह के मुख्य अतिथि बौद्ध भिक्षु व टॉन्गलेन चैरिटेबल ट्रस्ट धर्मशाला के निदेशक भिक्षु जाम्यांग ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो सभी का सम्मान करता है। चाहे कोई हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिक्ख हो, ईसाई हो या बौद्ध हो – सभी को स्वीकार किया जाता है और वे अपने मत-पंथ का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं। विविधता में एकता की यह भावना ही भारत को मजबूत और विशेष बनाती है। इसी वजह से तिब्बती लोग इस भूमि पर अपने धर्म और संस्कृति को सुरक्षित रखने में सक्षम हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज, जब मैं आपके सामने खड़ा हूं – भारत के मजबूत और अनुशासित युवा – मुझे उम्मीद और गर्व महसूस हो रहा है। मेरा मानना है कि भारत का भविष्य आपके हाथों में सुरक्षित है। आपका समर्पण, अनुशासन और देश के प्रति प्रेम भारत को और भी ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं आपको टॉंग-लेन नामक एक संगठन के माध्यम से किए जाने वाले अपने काम के बारे में थोड़ा बताना चाहूँगा। यह धर्मशाला में स्थित एक छोटी सी चैरिटी है जो वंचित परिवारों, खासकर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की मदद करती है। हम स्वास्थ्य, सेवा, शिक्षा, आश्रय और कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी मदद करने का प्रयास करते हैं। हमारा उद्देश्य उन्हें सम्मान के साथ जीने और अपने और अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य बनाने में मदद करना है।

उन्होंने कहा कि मुझे देश की सेवा के 100 साल पूरे करने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बधाई देते हुए बहुत खुशी हो रही है। यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है। इन 100 वर्षों में, आरएसएस ने कई तरह से लोगों की मदद की है। आपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, शिक्षा का समर्थन करने, लोगों को एक साथ लाने और भारत की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करने के लिए काम किया है। आरएसएस युवाओं को अनुशासित, दयालु और अपने देश से प्यार करना सिखाता है। आपका काम दिखाता है कि कैसे अच्छे मूल्यों वाले सरल लोग समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मैं भारत के लोगों को भी धन्यवाद कहना चाहता हूँ। 1959 में, जब तिब्बती लोग बहुत कठिन समय से गुज़र रहे थे, भारत ने हमारे आध्यात्मिक गुरु, परम पावन दलाई लामा का प्यार और सम्मान के साथ स्वागत किया। न केवल उन्हें, बल्कि सभी तिब्बती लोगों को दया, सुरक्षा और रहने के लिए जगह दी। हम इस गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए हमेशा आभारी रहेंगे।

वर्ग कार्यवाह डॉ. प्रताप जी ने कहा कि 20 दिन के वर्ग में उत्तर क्षेत्र के पांच प्रांतों हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, जम्मू,कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना,सौराष्ट्र और कोकण प्रांत के कुल 212 शिक्षार्थियों ने शिक्षण पूरा किया है। यह 212 शिक्षार्थी 93 जिलों के 116 नगरों और 53 खंडों से अपना ₹2000 शुल्क देकर, गणेश बनवाकर और अपना आने-जाने का व्यय कर वर्ग में शामिल हुए। प्रशिक्षण के लिए 30 शिक्षक और 40 प्रबंधक भी पूरे समय वर्ग में रहे। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले स्वयंसेवकों में विद्यार्थी, व्यवसायी, विस्तारक, प्रचारक, पीएचडी, इंजीनियर, एलएलबी, स्नातकोत्तर, स्नातक आदि के साथ-साथ अध्यापक- प्राध्यापक, उद्योगपति, नौकरी करने वाले कार्यकर्ता भी शामिल थे।