अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
क्या कभी आपने सोचा है कि एक स्कूल, जहाँ बच्चों को शिक्षा और संस्कार मिलने चाहिए, वही जगह यदि टार्चर रूम में बदल जाए तो क्या होगा? कुछ ऐसा ही हुआ है अलीगढ़ में। यहाँ सरकारी स्कूल का मुस्लिम प्रिंसिपल शकील अहमद 11 साल की सातवीं कक्षा की छात्रा को बेगम बनाने का सपना देख रहा था। उसने हिन्दू बेटी का मतांतरण कराने का भी प्रयास किया। इस घटना ने न केवल गुरु-शिष्य के रिश्ते को कलंकित किया है अपितु कट्टर इस्लामी मानसिकता का असली चेहरा भी उजागर कर दिया है। आरोपी प्रिंसिपल बच्ची को लगातार परेशान करता था कभी अश्लील हरकत, कभी प्रेम पत्र, तो कभी निकाह का दबाव। इतना ही नहीं, उसने मासूम को धमकी दी कि अगर यह बात किसी को बताई तो परीक्षा में फेल कर दूंगा। डर के साये में जी रही बच्ची जब घर लौटी तो रो-रोकर मां को सारी दास्तां सुनाई। इसके बाद परिवार ने शिकायत दर्ज कराई और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शकील अहमद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी ने छात्रा से न सिर्फ छेड़छाड़ की अपितु निकाह और मजहबी दबाव भी डाल रहा था। यानी मामला केवल हवस तक सीमित नहीं अपितु लव जिहाद की उसी गंदी साजिश की कड़ी है, जो देशभर में बार-बार उजागर होती रही है। सनातन संस्कृति में गुरु को ईश्वर का स्थान दिया गया है, लेकिन कट्टरपंथी मजहबी सोच में महिला चाहे बच्ची हो या युवती, उसे सिर्फ शिकार समझा जाता है। यही कारण है कि लव जिहाद, बाल विवाह और जबरन निकाह जैसी घटनाएँ कट्टर समाज में बार-बार सामने आती हैं। यह सिर्फ एक बच्ची की त्रासदी नहीं अपितु पूरे समाज के लिए चेतावनी है। जब तक कट्टरपंथी मानसिकता की इस जहरीली सोच को बेनकाब कर कठोर सजा नहीं दी जाएगी, तब तक न जाने कितनी मासूम बेटियाँ हवस और निकाह की आड़ में बर्बाद होती रहेंगी।