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संभल में 1986 और 1992 के दंगों की होगी जांच, पुलिस ने शुरू की रिकॉर्ड खंगालने की प्रक्रिया

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- एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि दंगों से जुड़े मामलों की स्थिति का रिकॉर्ड मुरादाबाद से निकलवाया जाएगा और जांच के बाद शासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी

- इस दौरान 1986 और 1992 के दंगों के पीड़ितों ने न्याय न मिलने की शिकायत करते हुए नए सिरे से जांच की मांग की।

संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में 1986 और 1992 के दंगों की पुलिस दोबारा जांच करेगी। इस संबंध में न्यायिक आयोग की टीम के सामने पीड़ितों ने न्याय की मांग उठाई थी। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि दंगों से जुड़े मामलों की स्थिति का रिकॉर्ड मुरादाबाद से निकलवाया जाएगा और जांच के बाद शासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। आगे की कार्रवाई शासन के निर्देशानुसार होगी।  

न्यायिक आयोग के सामने उठी मांग -

मंगलवार को न्यायिक आयोग की टीम ने संभल हिंसा की जांच के दौरान पीड़ितों के बयान दर्ज किए। इस दौरान 1986 और 1992 के दंगों के पीड़ितों ने न्याय न मिलने की शिकायत करते हुए नए सिरे से जांच की मांग की। शशांक अग्रवाल ने अपने पिता दिनेश चंद्र शर्मा की हत्या का मामला उठाते हुए न्याय की गुहार लगाई, जबकि कोटपूर्वी निवासी राष्ट्रबंधु रस्तोगी ने अपने पिता को दंगों में खोने और अभी तक न्याय न मिलने की बात कही।  

1986 और 1992 दंगों की जांच का निर्णय -

इन घटनाओं के मद्देनजर पुलिस ने 1986 और 1992 के दंगों में दर्ज मुकदमों का रिकॉर्ड खंगालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा कि दंगों में कितने मुकदमे दर्ज हुए और उनकी स्थिति क्या है, इसका अध्ययन किया जाएगा। पीड़ितों के परिवारों ने जहां अन्याय का सामना किया है, उन पहलुओं को भी विस्तार से देखा जाएगा।  

1978 के दंगे का रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा -

इससे पहले, 1978 के दंगे के मामलों की जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह दंगा हिंदू परिवारों के पलायन और कई लोगों की जान जाने के लिए कुख्यात रहा। पुलिस ने जानकारी दी कि इस दंगे में 16 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनमें हत्या, लूट, आगजनी और बलवा जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। 1993 में इनमें से आठ मुकदमे वापस ले लिए गए थे। अब शासन के निर्देश पर 1978 के दंगे का रिकॉर्ड एकत्र किया जा रहा है।  

शासन को भेजी जाएगी रिपोर्ट -

एसपी ने बताया कि 1986 और 1992 के दंगों के मामलों के साथ-साथ 1978 के दंगे का रिकॉर्ड भी शासन को भेजा जाएगा। इसके बाद, शासन के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस कदम से पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है, जिन्होंने दशकों से अपने मामले की सुनवाई का इंतजार किया है।  

संभल में तीन दशकों से अधिक समय के दंगों के मामलों की दोबारा जांच का निर्णय न केवल न्याय की प्रक्रिया को तेज करेगा, बल्कि उन परिवारों को उम्मीद देगा जो लंबे समय से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इससे दंगों से जुड़े रिकॉर्ड को संरक्षित करने और पीड़ितों को राहत देने में भी मदद मिलेगी।