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दोना-पत्तल बना कर गांव की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर, हुनर से बदली घर की आर्थिक स्थिति

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दोमहिलाओं के हाथों में हुनर होता है , जब महिलाओं ने हुनर का द्वार खोला तो घर में लक्ष्मी का प्रवेश होने लगा और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरती चली गई। आज गांव गांव की महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण ले रही हैं और कड़ी महनत कर आत्मनिर्भर बन रही है। फरेंदा तहसील क्षेत्र के ग्राम भगवतनगर परसिया के टोला खरियहवा के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं दोना व पत्तल बनाकर आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ चली हैं।  गांव की महिलाएं थाली, दोना, बफर थाली तैयार करने का काम करती हैं।मशीन से एक घंटे में 600 थाली, 750 दोना, 300 से 500 तक बफर थाली तैयार की जाती है। तैयार माल क्षेत्र के फरेंदा, कोल्हुई, कैंपियरगंज, महराजगंज सहित अगल-बगल के व्यापारी खरीद कर ले जाते हैं। मांग के हिसाब से सारा सामान तैयार कर उसकी आपूर्ति की जाती है। समूह की महिलाएं 5000 से 20,000 रुपये तक की कमाई कर लेती हैं ।