• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

मथुरा में संस्कृत भाषा के प्रचार में योगदान करने वालों का सम्मान

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

मथुरा के सरस्वती शिशु मंदिर दीनदयाल नगर में संस्कृत भारती समूह के सदस्यों की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में संस्कृत भाषा के महत्व को लेकर चर्चा हुई, साथ ही संस्कृत सप्ताह के दौरान संस्कृत के प्रचार-प्रसार में योगदान देने वाले वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया गया। पूरे विश्व में 6-12 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह मनाया गया। ब्रज प्रांत में भी संस्कृत भारती द्वारा संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और जन-जन तक पहुँचाने के लिए प्रतिवर्ष संस्कृत सप्ताह का भव्य आयोजन किया गया था।

6 अगस्त को मथुरा के केशव भवन में सरस्वती कुंड पर वैदिक विधि-विधान से हवन-पूजन के साथ संस्कृत सप्ताह का आरम्भ किया गया। 7-8 अगस्त को जनपद के सभी विद्यालयों में गीता पाठ, सुभाषित, भाषण, संस्कृत गीत प्रतियोगिता, लघु नाटिका प्रतियोगिताएं संस्कृत भाषा में आयोजित कराई गईं, जिसमें स्कूली छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर न केवल हिस्सा लिया अपितु कई पुरस्कार भी जीते। 

9 अगस्त को रक्षाबंधन के पर्व पर जनसम्पर्क अभियान कर संस्कृत भाषा का प्रचार किया गया। 'घर-घर तुलसी, घर-घर गीता' अभियान चलाया गया। 10 अगस्त को विद्वत गोष्ठी की गई, जिसमें लुप्त होती जा रही संस्कृत भाषा को जनसाधारण की भाषा बनाने के विषय पर चर्चा की गई।

11 अगस्त को संस्कृत भाषा को लेकर भव्य जागरुक शोभा यात्रा निकाली गई। 12 अगस्त को संस्कृत सप्ताह का भव्य समापन किया गया। समापन समारोह में प्रतियोगिता में विजयी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया।

संस्कृत भाषा को लेकर देशभर में तरह-तरह से कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि भारतीय संस्कृति की भाषा को फिर से आम बोलचाल की भाषा में सम्मिलित किया जा सके। क्योंकि संस्कृत को भविष्य की भाषा में न केलव भारत अपितु पूरा विश्व देख रहा है। नई तकनीक में संस्कृत भाषा अत्यन्त चमत्कारिक है। वहीं मनोभावों को बदलने में भी संस्कृत का अहम योगदान है। यही कारण है कि संस्कृत पूरे विश्व में ज्ञान और विज्ञान की भाषा के रूप में देखी जा रही है। संस्कृत के अध्ययन और अध्यापन दोनों से ही फायदा है, क्योंकि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है।

ज्ञान, अनुभव व मार्गदर्शन का अमूल्य श्रोत होते हैं वरिष्ठ नागरिक, संस्कृत  भाषा के प्रति समर्पित वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान

संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की असली ताकत है, उसका स्व है। स्व मतलब आत्मनिर्भरता से उपजा आत्मबोध। स्वत्व कोई भौतिक चीज नहीं है, बल्कि एक वैचारिक भाव है, जिसे भाषा के माध्यम से व्यक्त किया जाता है और ये भाषा संस्कृत है।