उत्तर भारत के प्रसिद्ध माता पूर्णागिरि धाम में भक्तों का सैलाब उमड़ा. पूर्णागिरि धाम का मेला होली के अगले दिन 9 मार्च से शुरू हो गया था. चैत्र नवरात्र पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन को पहुंचे. तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसारदक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ समारोह का आयोजन किया. इसके लिए उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर सभी को आमंत्रित किया. पार्वती को जब पता चला कि यह उनके पिता की चाल है कि वे उनके पति को अपमानित करना चाहते हैं, तो उन्होंने खुद को यज्ञ की आग में झोंक दिया. ऐसा माना जाता है कि पूर्णागिरि में मां सती का नाभि वाला हिस्सा गिरा था. जहां नाभि वाला हिस्सा गिरा वहीं पर माता पूर्णागिरि का मंदिर स्थित है. यह दिव्य स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है.