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देश के विकास के लिए समान नागरिक संहिता आवश्यक – इंद्रेश कुमार

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जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि देश के विकास के लिए समान नागरिक संहिता अनिवार्य है. ‘समान नागरिक संहिता’ किसी की आजादी पर प्रतिबंध नहीं है. सबके लिए समान कानून होना ही चाहिए. इस कानून के बनने से किसी भी धर्म और जाति के लोगों की आजादी समाप्त नहीं होगी. इससे सभी नागरिकों के बीच समानता की भावना पैदा होगी. विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच आपसी समझ और सद्भावना बढ़ेगी.

इंद्रेश कुमार बुधवार को मालवीय नगर स्थित पाथेय भवन के महर्षि नारद सभागार में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच राजस्थान चैप्टर की ओर से “एक देश, एक कानून” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने उत्तराखंड में ‘कॉमन सिविल कोड’ बिल पारित होने का स्वागत किया.

उन्होंने कहा कि इस्लाम में कहीं नहीं लिखा कि चार शादियां करो, जो ये कहता है वो झूठ बोल रहा है और जो इसे मान रहा है वो अपराध कर रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में सुन्नत और कुरान बहुत साफ बताते हैं, बिना सहमति के कोई दूसरी शादी नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा कि एक पॉलिटिकल फैशन बन गया है, देश में कुछ भी लागू कीजिये, हर बार यही प्रश्न क्यों खड़ा होता है कि मुसलमानों का क्या होगा? कोई ये क्यों नहीं कहता कि हिन्दुस्तानियों का क्या होगा? ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाकी सब तो भारतीय हो गए, लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी मुसलमान अब तक भारतीय नहीं हुआ. उनको मुसलमान ही बनाकर रखा हुआ है और जब तक बना रहेगा ये परेशानी खड़ी ही रहेगी. जिस दिन मुस्लिम हिन्दुस्तानी और भारतीय हो जाएंगे, उस दिन इनके और इस देश के भी रोग खत्म हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि अंग्रेज चाहते थे कि बंटवारा हो, तब एक ने मजहब के नाम पर हिन्दुस्तान ले लिया और एक ने पाकिस्तान. यदि नेता जी सुभाष, डॉ. आंबेडकर, डॉ. मुखर्जी को मान्यता मिल जाती तो अंग्रेज चले जाते और भारत का बंटवारा नहीं होता. और ये प्रश्न सदा के लिए खत्म हो जाता कि मुसलमान का क्या होगा? उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत पर राज करने के लिए कितने पापड़ बेले होंगे, और हमने अपनी सांस्कृतिक निष्ठा से भारत को जीतते हुए और सम्मान प्राप्त करते हुए देखा है. ब्रिटेन में भारतीय मूल ऋषि सुनक प्रधानमंत्री के रूप में दिखाई देते हैं.

उन्होंने कहा कि आज का विषय एक प्रश्न भी खड़ा करता है, दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं जो सबको स्वीकार करता है. भारत एकमात्र देश है, जिसने सभी धर्म और जातियों को जगह दी और उन्हें फलने फुलने के लिए रास्ता भी दिया. इसलिए भारत ही वो धरती है, भारत ही वो समाज है और भारतीयता ही वो चिंतन है, वो सभ्यता है जो दुनिया में अपवाद है. इसलिए भारत सोने की चिड़िया कहलाया.

मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि देश का दायित्व होना चाहिए कि वो एक समान कानून को अपनाए. इससे राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया को बल मिलेगा. इस बात पर भी गौर किया जाए कि जब भी इस विषय पर चर्चा होती है, तब ये शगुफा छोड़ा जाता है कि ये बिल अथवा कानून इस्लाम की अवधारणा पर चोट है. इस कानून से वोट बैंक की तुष्टिकरण वाली राजनीति पर लगाम अवश्य ही लग जाएगी.

कार्यक्रम की शुरुआत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक सत्यनारायण जी की स्मृति में 2 मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई.