प्रयागराज महाकुम्भ का अनुपम प्रबंधन
लेखक- अशोक कुमार सिन्हा सचिव, विश्व संवाद केन्द्र,
अवध
ऋग्वेद के सूक्त (10.75) में कहा गया है कि जहां कृष्ण और श्वेत जल
वाली दो सरिताओं का संगम है वहां स्नान करने से मनुष्य स्वर्गारोहण करता है।
मत्स्य, स्कंद, काशी और पद्म पुराण में प्रयागराज को तीर्थराज नाम से अभिहित किया
गया है। वर्तमान में 144 वर्ष बाद विशेष संजोग से 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक
महाकुम्भ लगा है। सम्राट हर्षवर्धन के समय कुम्भ यश की पताका फहरा रहा था। सातवीं
शताब्दी में चीनी यात्री स्वेनसांग अपने यात्रा वृतांत में लिखता है कि प्रत्येक 5
वर्ष बाद सम्राट हर्षवर्धन प्रयाग कुम्भकी व्यवस्था और दान पुण्य में अपने राजकोष
की पूरी संपत्ति समाप्त कर देते थे। आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म के विभिन्न
मत-सम्प्रदायों को व्यवस्थित रूप देकर संन्यासी अखाड़ों की स्थापना की। उन्होंने
सनातन रक्षण-भ्रमण और तीर्थाटन परंपरा को पुनर्जीवित किया।
1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज कुम्भमेले में एकत्रित भीड से डरने
लगे थे। कहीं किसी क्रांति को हवा न लगे इसलिए कुम्म को शर्तों के दायरे में लाया
गया। अंग्रेज कुम्भ पर भारी टैक्स लगाकर आमदनी भी करते थे। स्वाधीन भारत में 1954
में पहला कुम्भ पड़ा जिसमें राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक मास का कल्पवास
किया था तथा प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने भी संगम में डुबकी लगाई थी। उस समय सरकार
ने एक करोड़ 10 लाख रुपया व्यवस्था में व्यय किया था। उस समय देश की कुल आबादी 30
करोड़ थी जिसमें से लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई थी। 2013 के
कुम्भ मेले में विश्व हिन्दू परिषद ने आयोजित थर्म संसद में धर्म गुरुओं तथा
उपस्थित श्रद्धालुओं ने अयोध्या के भावी राम मंदिर के प्रारूप की स्वीकृति ली
जिसने भारतीय राजनीति और भारतीय संस्कृति की दशा और दिशा दोनों बदल दी थी।
वर्तमान महाकुम्भ में व्यवस्था, भव्यता, दिव्यता, सुरक्षा तथा सौन्दर्यबोध के अद्वितीय
प्रयासों से नया कीर्तिमान बना है। इस भव्य आयोजन में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं
के कुम्भ स्नान की संभावना है। 19 जनवरी तक लगभग 7 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी
लगा चुके थे, जो
अपने आप में कीर्तिमान है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेला
प्रारंभ होने से पूर्व 6 बार प्रयागराज का प्रवास तथा समीक्षा बैठकें कर आवश्यक
निर्देश दिए। संगम जल का स्वयं आचमन कर उसकी शुद्धता तथा निर्मलता का विश्वास जनता
को दिलाया। 13 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रयागराज पहुंच कर
व्यवस्था का निरीक्षण किया तथा 86 हजार करोड़ रुपए की लागत से पूर्ण होने वाली
कुम्भ क्षेत्र की कुल 500 परियोजनाओं का लोकार्पण किया। व्यवस्था की दृष्टि से 365
वर्ग किलोमीटर का एक विशेष कुम्भ नगर जिला घोषित किया गया तथा त्वरित व्यवस्था
हेतु आवश्यक अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती की गई। केंद्रीय संगम के 60 वर्ग
किलोमीटर मेला क्षेत्र को स्थापित कर योगी जी ने सनातन संस्कृति की एकता और समरसता
स्थापित करने वाले इस भव्य आयोजन कोअविस्मरणीय बना दिया है। मुख्यमंत्री जी ने मेले की व्यवस्था पर 7
हजार करोड़ रुपए के बजट को व्यय कर दुनिया के सबसे बड़े जनसांस्कृतिक, धार्मिक
आयोजन के इस सनातन पर्व को वैश्विक उद्धरण के रूप में प्रस्तुत कर दिया है।
कुल 4000 हेक्टेयर क्षेत्रफल को 25 सेक्टरों में विभाजित कर प्रत्येक
को जनसुवियाओं से सम्पन्न बनाया गया है। 1850 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 5 लाख वाहनों
के लिए 5 विशेष पार्किंग स्थल बनाए गए। 10 लाख सैप्टिक टैंक युक्त बायोटॉयलेट
(शौचालय) बनाए गए तथा 10 हजार स्वच्छता सेवियों को तैनात किया गया है। श्रद्धालुओं
के लिए एक लाख साठ हजार टेंट लगाए गए हैं। मेला क्षेत्र में कुल 67000 एल.इ.डी.
स्ट्रीट लाइट, 66 नए ट्रांसफार्मर, 2016 हाइब्रिड स्ट्रीट लाइट, दो
नए विद्युत सब स्टेशन तथा 1249 किलोमीटर पेयजल पाइपलाइन, 200 बाटर एटीएम,
85
नलकूप स्थापित हैं। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से कुम्भ मेला पहुंचने के लिए
7000 विशेष बसों का संचालन किया जा रहा है। मेला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए विशेष
स्नान पर्व के एक दिन पूर्व तथा एक दिन बाद तक 550 निःशुल्क शटल बसों का संचालन हो
रहा है। शेष दिनों में नाममात्र का किराया वसूला जाएगा। मेला क्षेत्र में 7 बस
स्टैंड, 30 पैटून ब्रिज, 9 पक्के घाट, 7 रिवर फ्रंट,
12
किलोमीटर में अस्थाई घाट, 14 नए फ्लाई ओवर तथा अंडरपास से
प्रयागराज का नवीनीकरण किया गया है।
स्नान करने के बाद अन्य मुख्य दर्शन स्थलों के कुत 11 नए कॉरिडोर
बनाकर प्रयागराज को देश का पहला भब्य तीर्थ कॉरिडोर नगर बना दिया गया है। मुख्यरूप
से अक्षयवट, भारद्वाज आश्रम, हनुमान मंदिर, श्रृंगवेरपुर
कॉरिडोर के साथ ब्रह्मा जी का यज्ञ स्थल, दशाश्वमेध घाट व मंदिर, नागवासुकी
मंदिर तथा द्वादश माचव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। मेला क्षेत्र में AI
तकनीकयुक्त
2600 से अधिक CCTV कैमरे स्थापित कर उन्हें केन्द्रीयकृत मॉनिटरिंग रूम से जोडा गया है।
रेल, वायु मार्ग और बस रूट से प्रयागराज संपूर्ण भारत से जुड़ा है। 13000
से अधिक ट्रेने प्रयागराज से होकर संचालित की जा रही है। प्रयागराज नगर में कुल नौ
रेलवे स्टेशन क्रमश: प्रयागराज जंक्शन, सूबेदारगंज, प्रयाग
जक्शन, रामबाग, फफामऊ, झूसी, छिवकी, प्रयागराज संगम तथा नैनी रेलवे स्टेशन
संचालित हैं। स्टेशन सहित पूरे मेला क्षेत्र में कुल 12 भाषाओं में सूचना प्रसारण
की व्यवस्था भी बनाई गई है। 55 हवाई उड़ानों के साच एयरपोर्ट व्यवस्था को भी
समुन्नत किया गया है।
मेला क्षेत्र में कुल 5 हजार ई-रिक्शा संचालित हैं। यड़े रेलवे
स्टेशनों पर भगदड़ से बचाव हेतु 10 हजार की क्षमता के बड़े होल्डिंग आश्रय स्थल
बने हैं। स्टेशन तथा स्टेशन के बाहर QR कोड से तथा सैकड़ों टिकट कलेक्टरों के हाथ में हैंडहोल्ड ऑटोमैटिक
मशीन से टिकट विक्रय की व्यवस्था है।
अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था में 50 हजार से अधिक पुलिस बल, 56 पुलिस स्टेशन, 2 पुलिस लाइन, एक ट्रैफिक पुलिस लाइन, 2 हजार ड्रोन कैमरे, वाटर ड्रोन, जल पुलिस, घुड़सवार पुलिस, NSG की पांच
टुकड़ियां, डायल
112 की 296 टीम, 95
जिप्सी वाहन, 231
मोटरसाइकल तैनात हैं। मेला क्षेत्र को एडवांस ए आई ड्रिवन डेटा एनेलिटिक्स
सोल्यूशन सिस्टम से सर्विलांस और सुरक्षा को अभेद्य बनाया गया है। शहर में प्रवेश
हेतु 7 राजमार्गों की पूर्ण नाकेबंदी है तथा चेकिंग चौकियां स्थापित है। एमडीआरएफ
की टीम को सन्नद्ध रखा गया है।
मेला क्षेत्र में कुल 43 अस्पतालों में 24 घंटे 381 विकित्सक उपलब्ध
हैं। 24 घंटे प्रसूति रोग विशेषज्ञों की उपलब्धता है। नगर के चिकित्सालय में 6000
अतिरिक्त बेड की व्यवस्था है। एयर व जल एंबुलेंस उपलब्ध है। 125 रोड एंबुलेंस
कार्यरत है। संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था निःशुल्क है। समुचित दवाएं, क्रिटिकल केयर यूनिट, ओटी, ऑक्सीजन, मॉनिटर, ए.डी. मशीन तथा बेसिक लाइफ सपोर्ट 24
घंटे उपलब्ध हैं। मेला क्षेत्र में अलग ट्रैक सूट में ट्रैवल गाइड, 120 पार्किंग स्थल हैं। 5 लेन चौड़ी
सड़क पर 13 प्रमुख आध्यात्मिक अखाडों की स्थापना की गई है। कल्पवास के लिए पर्ण
कुटियों की अलग से व्यवस्था है।
संपूर्ण व्यवस्था को डिजिटलाइञ्ड किया गया है। AI बेस्ड संचार व्यवस्था, 192 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर, AI बेस्ड खोया पाया विभाग, 3 प्रकार की सूचना एवं सहायता देने
हेतु मेला क्षेत्र के हर खंभे पर QR
कोड पोस्टर, प्रसार
भारती द्वारा संचालित 24 घंटे कुम्भवाणी जैसी व्यवस्थाएं, तकनीकी और अध्यात्म का अद्भुत संगम बना
रहे है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पूरे कुम्भ क्षेत्र को पर्यावरणयुक्त तथा
प्लास्टिकमुक्त क्षेत्र बनाने का प्रण लिया है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु संघ
स्वयंसेवक करोड़ों की संख्या में सुती झोले में कटोरीदार स्टील की थाली का वितरण
करते हुए अन्य सेवाकार्यों में भी जुटे हैं।
मेला क्षेत्र में अनेकों प्रदर्शनी मंडप, सांस्कृतिक मण्डप सनातन और विकास
कार्यों के प्रधार हेतु स्थापित हैं जहां प्रवेश निःशुल्क हैं। नगर के प्रत्येक
चौराहों को वेद-पुराण की गावाओं के अनुसार सजाया गया है। मानसिक शांति हेतु वाइल्ड
लाइफ की टीम बर्ड साउंड बेरेपी की व्यवस्था उपलब्ध करा रही है। देशभर से आए कला
एवं हस्तशिल्पियों के वस्तुओं की सारीदारी भी आप कर सकते हैं। स्वच्छ एवं पावन
त्रिवेणी जल का आचमन कर घर के पूजाघर के लिए भी जल कलश लाइए। आप प्रयागराज पधारिए।
अध्यात्म, संस्कृति
और धार्मिक पुण्य की डुबकी लगाइए। 'सर्वे
भवन्तु सुखिनः' की
सांस्कृतिक आत्मा का दर्शन कीजिए। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक अविस्मरणीय प्रयागराज आप की प्रतिक्षा में तत्पर है।