तिब्बत की प्रकृति, संस्कृति व स्वभाव को नष्ट कर रहा चीन – आलोक कुमार
- -तिब्बत स्वतंत्र होगा तो कैलाश मानसरोवर मुक्त होगा – इंद्रेश कुमार
- - चीन, तिब्बत की प्रकृति, संस्कृति व स्वभाव को नष्ट कर रहा है
महाकुम्भ नगर, । प्रयागराज में आयोजित बौद्ध महाकुम्भ यात्रा में आए सभी बौद्ध भिक्षुओं का स्वागत सम्मान किया गया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि तिब्बत भारत का शीश है। चीन, तिब्बत की प्रकृति, संस्कृति व स्वभाव को नष्ट कर रहा है। तिब्बत की स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए विश्व के जनमत को काम करना होगा। उन्होंने कहा कि तत्कालीन भारत सरकार ने यदि चीन का विरोध किया होता तो आज तिब्बत चीन के कब्जे में नहीं होता। हमारी परंपरा में समानता के बिंदु हैं। तथागत बुद्ध ने जात-पात व छोटे-बड़े की कारा को तोड़ा। भारत को अब समरसता प्राप्त करनी है, सब में ईश्वरत्व दर्शन करना है। हमें बुद्ध के जीवन का अनुकरण करना होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने बौद्ध महाकुम्भ यात्रा में कहा कि तिब्बत स्वतंत्र होगा तो कैलाश मानसरोवर अपने आप मुक्त होगा। भारत की सुरक्षा की गारंटी होगी। भारत में जन्मे धर्म और पंथ में जो शांति व तेज है, वह विश्व में कहीं नहीं है। प्रत्येक कुम्भ में हम मिलेंगे तो मानवता को संदेश देने में सुविधा होगी। बौद्ध-सनातन एकता में किसी प्रकार का शक नहीं होना चाहिए। हम अपने यश के लिए काम करेंगे। छुआछूत का दंश अभी भी जिंदा है। मन, बुद्धि ,कर्म और आचरण से इसे निकालना है। सबके अंदर परमपिता परमेश्वर का वास है।
म्यांमार से आए जोड़ा डोलो ने कहा कि बौद्ध व सनातन की एकता से हम पूरे विश्व को करुणा व मैत्री सिखाएंगे। भंते शील रतन ने कहा कि बुद्ध की विचारधारा ही सनातन है। बुद्ध भी सनातनी है।
दुनिया के कई देशों के भंते, लामा व बौद्ध भिक्षुओं ने गुरूवार को प्रयागराज संगम में आस्था की डुबकी लगाकर दुनिया को सनातन बौद्ध एकता का संदेश दिया।
बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणम् गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि का उद्घोष करते हुए 500 से अधिक बौद्ध भिक्षु संगम तट पर पहुंचे। संगम में डुबकी लगाने के बाद बौद्ध भिक्षु सनातन के प्रति गर्व की अनुभूति कर रहे थे।