अयोध्या, उत्तर प्रदेश
विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ संत एवं श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख नेता डॉ. रामविलास दास वेदांती जी महाराज के निधन पर अयोध्या स्थित कारसेवकपुरम में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित संतों, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को स्मरण किया।
श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति अभियान के वरिष्ठ सदस्य तथा अयोध्या स्थित वशिष्ठ भवन के महंत डॉ. रामविलास वेदांती जी महाराज भले ही आज भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संपूर्ण जीवन अयोध्या धाम के विकास और रामलला के भव्य मंदिर निर्माण को समर्पित रहा। उनका पूरा जीवन रामकाज में रमा रहा और वे अंतिम क्षण तक प्रभु श्रीराम की सेवा में तत्पर रहे।
वक्ताओं ने इसे एक अद्भुत संयोग बताया कि प्रभु श्रीराम की पावन कथा का वाचन करते हुए उन्होंने अपनी नश्वर देह का त्याग किया और साकेतवास को प्राप्त हुए। इसे उनके जीवन की आध्यात्मिक पूर्णता और साधना का प्रतीक बताया गया।
इस अवसर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपतराय ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए चले आंदोलन से लेकर आज तक डॉ. वेदांती जी महाराज कभी पीछे नहीं हटे। राम जन्मभूमि न्यास की बैठकों में उनकी उपस्थिति सदैव विशेष रहती थी और उनका इस आंदोलन से गहरा, जीवंत तथा मार्गदर्शक संबंध रहा।
कार्यक्रम में पूर्व जिला संघचालक डॉ. विक्रमा प्रसाद पाण्डेय, प्रांत संगठन मंत्री विजय प्रताप, उमेश पोरवाल, अभय सिंह, अंकित, जेपी सिंह, केदार सिंह, आभा सिंह, शरद सिंह, वीरेंद्र, मुकेश जी, जीतेंद्र, ध्रुवेश मिश्र सहित अनेक गणमान्य लोगों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन मयंक चौहान ने किया।
वेदांती जी महाराज के योगदान को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उन्हें श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के प्रारंभिक दौर से लेकर उसके मूर्त रूप लेने और आंदोलन के सफल परिणाम को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 25 नवंबर को श्रीराम जन्मभूमि पर निर्मित भव्य मंदिर में धर्मध्वजा आरोहण समारोह में भी उनकी गरिमामयी उपस्थिति रही, जो उनके सतत समर्पण और सहभागिता का स्पष्ट प्रमाण है। वर्ष 1983 में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति अभियान के आरंभ से लेकर अब तक आयोजित प्रत्येक आंदोलन और कार्यक्रम में उनकी सक्रिय भूमिका रही।
प्रभु श्रीराम के पवित्र मंदिर से जुड़े सभी ऐतिहासिक क्षणों—5 अगस्त 2020 को मंदिर के शिलान्यास, 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा तथा 25 नवंबर 2025 को धर्मध्वजा आरोहण—के वेदांती जी महाराज साक्षी रहे। यह उनके जीवन की साधना और संकल्प का ही प्रतिफल था कि वे रामलला को विराजमान होते, भव्य मंदिर का निर्माण होते और दिव्य-भव्य अयोध्या को साकार रूप में देखते हुए तथा रामकथा का गायन करते हुए इस लोक से विदा हुए।



