- इस वर्ष 27 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने कराया पंजीकरण
- पर्यावरण पर पड़ने वालों प्रभाव को देखते हुए होगा अध्ययन
उत्तराखंड। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के बढ़ते पर्यटकों की संख्या और पर्यावरण पर पड़ते प्रभाव के कारण राज्य सरकार ने इन धार्मिक स्थलों की "धारण क्षमता" का अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने यह अध्ययन वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) को सौंपा है, ताकि यह आंकलन किया जा सके कि इन क्षेत्रों में कितने पर्यटकों की उपस्थिति को स्थानीय संसाधन और पर्यावरण बिना नुकसान के संभाल सकते हैं।
चार धामों (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री) में तीर्थयात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2022 में 47,000 तीर्थयात्रियों का रजिस्ट्रेशन हुआ था, जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 54,000 हो गई थी। इस वर्ष, यात्रा के दौरान 27 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया है। इस बढ़ती संख्या से पर्यावरण पर दबाव बढ़ा है, खासकर प्लास्टिक कचरे और अन्य कचरे के रूप में।
उत्तराखंड सरकार अब यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है कि इन धामों में पर्यटकों की संख्या और वहां की संसाधन क्षमता के बीच संतुलन स्थापित किया जाए, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सके और वहां की जैवविविधता को खतरे से बचाया जा सके।