घर वापसी : बरेली में दो युवतियों ने अपनाया हिंदू धर्म, प्रेमियों संग लिए सात फेरे
- - दिल्ली और उत्तराखंड की दो युवतियों ने प्रेम के लिए धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपना लिया और अपने-अपने प्रेमी के साथ सात फेरे लिए
- - दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की और अब वे खुशी-खुशी अपने जीवनसाथी के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं
बरेली: प्यार किसी मजहब या सरहद का मोहताज नहीं होता, इसकी मिसाल बरेली में देखने को मिली, जहाँ दिल्ली और उत्तराखंड की दो युवतियों ने प्रेम के लिए धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपना लिया और अपने-अपने प्रेमी के साथ सात फेरे लिए।
दिल्ली की रहीमा ने अपना नाम बदलकर रिद्धि रख लिया और बरेली के बहेड़ी क्षेत्र के दीपक संग शादी कर ली, जबकि उत्तराखंड की अलीजा ने मनीषा बनकर प्रेमी राजेंद्र संग विवाह किया। दोनों ने मंदिर में विधि-विधान से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी रचाई।
रहीमा बनी रिद्धि, दीपक संग लिए सात फेरे-
दिल्ली के सीलमपुर निवासी रहीमा और बहेड़ी के दीपक की प्रेम कहानी एक सिलाई फैक्ट्री में काम करने के दौरान शुरू हुई। करीब दो साल पहले दोनों में नजदीकियां बढ़ीं, लेकिन धर्म की दीवारें उनकी राह में बाधा बन गईं।
रहीमा के परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया, यहाँ तक कि रहीमा को परिवार से जान का खतरा भी महसूस हुआ। दूसरी ओर, दीपक के परिवार ने भी इस रिश्ते को लेकर असहमति जताई, लेकिन बाद में वे मान गए।
परिवार के विरोध को देखते हुए रहीमा ने दीपक के साथ घर छोड़ दिया और बरेली आ गईं। यहाँ एक मंदिर में उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया और अपना नाम 'रिद्धि' रखा। इसके बाद मंदिर के महंत ने दोनों की शादी करवा दी। शादी के दौरान दीपक ने रिद्धि की मांग में सिंदूर भरा, मंगलसूत्र पहनाया और उन्होंने हिंदू विवाह की परंपराओं को निभाया।
रिद्धि ने कहा, "मैंने बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन किया और दीपक से शादी की। अब मैं खुद को हिंदू धर्म में काफी सहज महसूस कर रही हूँ।"
अलीजा ने अपनाया हिंदू धर्म, बनी मनीषा और रचाई शादी-
उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर निवासी राजेंद्र और अलीजा की प्रेम कहानी भी कुछ ऐसी ही रही। एक ही गाँव में रहने के कारण दोनों में पहले दोस्ती हुई और फिर धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई।
लेकिन जब घरवालों को इस रिश्ते का पता चला, तो उन्होंने राजेंद्र की कई बार पिटाई की और शादी के लिए सख्त विरोध जताया। परिवार की नाराजगी के बावजूद अलीजा ने राजेंद्र के साथ जीवन बिताने का फैसला किया और अपने घर से निकल आईं।
राजेंद्र के साथ बरेली के अगस्त्य मुनि आश्रम पहुंचकर अलीजा ने हिंदू धर्म अपना लिया और अपना नाम मनीषा रखा। इसके बाद आश्रम के पंडित केके शंखधार ने दोनों की शादी करवाई।
प्रेम और विश्वास की मिसाल बनीं दोनों जोड़ी-
दोनों प्रेमी युगल अपनी नई जिंदगी की शुरुआत से बेहद खुश हैं। दोनों जोड़ों का कहना है कि उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की और अब वे खुशी-खुशी अपने जीवनसाथी के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।
यह घटनाएँ दिखाती हैं कि प्यार किसी भी धर्म या समाज की बेड़ियों में नहीं बंधता। जब दो लोग एक-दूसरे के लिए सच्ची भावना रखते हैं, तो वे किसी भी मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।