हर्बल रंग बनाने का प्रशिक्षण ले आत्मनिर्भर बनने की राह पर बंदी
विकासनगर, उत्तराखण्ड : जीवन के किसी मोड़ पर किसी कारणवश अपराध कर चुके व्यक्ति जो कारागार में अपने अपराधों की सजा काट रहे है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए समाज के देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई लोग सकारात्मक कार्य कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही काम उत्तराखण्ड की विकासनगर स्थित सुद्धोवाला जेल में भी हो रहा है।
दरअसल कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी की दो वैज्ञानिकों डॉ. किरन पंत व डॉ. विजेता ने विकासनगर की सुद्धोवाला कारागार में बंदियों को हर्बल रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया और बताया कि हर्बल रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते।
प्रशिक्षण में कैदियों ने उत्साह के साथ भाग लिया और पूरी निष्ठा से रंग बनाने की विधि को सीखी। विज्ञानियों ने कैदियों को जैविक एवं पर्यावरण के अनुकूल रंग तैयार करने की तकनीक सिखाई, ताकि होली जैसे पर्वों को और अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक रूप में मनाया जा सके।
जेल प्रशासन की ओर से यह प्रशिक्षण कैदियों के कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित कराया गया था। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से कैदियों को नए कौशल सीखने और भविष्य में आत्मनिर्भर बनने के अवसर मिलते हैं। इस पहल को जेल प्रशासन और कृषि विज्ञान केंद्र के संयुक्त प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिससे कैदियों को न केवल एक रचनात्मक गतिविधि में शामिल होने का मौका मिला, बल्कि पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के प्रति जागरूकता भी बढ़ी।
इस प्रकार जेल प्रशासन सुद्धोवाला और कृषि विज्ञान केंद्र अपनी इस पहल से बंदियों को प्रशिक्षित कर न केवल समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम रहे हैं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भी सकारात्मक कार्य कर रहे हैं।