हरदोई, उत्तर प्रदेश
इस बार रक्षाबंधन पर प्लास्टिक नहीं, प्रकृति की सुगंध बांधी जाएगी। गौशालाओं में महिलाओं ने गोबर से ऐसी राखियां और दीपक गढ़े हैं, जो परंपरा, पर्यावरण और स्वावलंबन — तीनों की लौ जलाएंगे। हस्तनिर्मित ये उपहार सिर्फ सजावट नहीं, एक सोच हैं। हर राखी में बसी है गोमाता की महिमा, हर दीपक में चमकता है आत्मनिर्भर भारत का सपना। त्योहार अब सिर्फ रस्म नहीं रहेंगे — वे संदेश बनेंगे... मिट्टी, मातृभूमि और ममता के।