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गाजियाबाद में दो मुस्लिम महिलाओं ने की घर वापसी

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गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश 

गाजियाबाद के साहिबाबाद में दो मुस्लिम महिलाओं ने इस्लाम त्यागकर सनातन में घर वापसी की है। घर वापसी के बाद सोनिया खान अब शिवानी चौधरी बन गयी हैं तो वहीँ खुशबू खान काजल साहू बन चुकी हैं। नाम बदलना खबर नहीं है — पर सोच बदलना क्रांति है। ये वो बदलाव है जो सिर्फ धर्म का नहीं, दशकों की पीड़ा और अपमान से उबरने का प्रतीक है। खुशबू ने यूसुफ खा न से निकाहकिया था। जो शराबी, हिंसक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला व्यक्ति निकला। बात केवल शोहर तक सीमित नहीं थी। मुसलमान रिश्तेदारों की नजरें उसकी बेटी तक को नहीं छोड़ रही थीं। 12 साल तक वह सब कुछ सहती रही — मानो वो नारी नहीं, कोई चुप्पी में जकड़ा जीव हो। आखिरकार उसने फैसला लिया , तलाक लिया, आत्मसम्मान चुना और हिन्दू युवक विपिन साहू से विवाह किया। अब वह केवल ‘पत्नी’ नहीं, एक सम्मानित स्त्री है।


वहीँ शिवानी की बात करें तो वो पहले सोनिया खान थी। उसने 8 वर्ष पहले ही एक हिंदू युवक से विवाह कर लिया था लेकिन इसके बावजूद भी वह मजहबी पहचान से बंधी रही — शायद समाज, डर या आदत की वजह से। अब उसने इस मजहबी बंधन को पूरी तरह तोड़ दिया है। उसने आर्य समाज मंदिर में हवन कर सनातन में घर वापसी की। क्या यह सिर्फ घर वापसी है? नहीं — यह कट्टरता से आजादी है। यह स्त्री की रक्षा का स्वाभाविक निर्णय है। इन दोनों महिलाओं ने कहा — "हमें हिंदू धर्म में वो सम्मान मिला, जो मुस्लिम समाज में सिर्फ जुबानी दावा बनकर रह गया था।" बेटी की सुरक्षा, मानसिक शांति और धार्मिक स्वतन्त्रता — ये सब एक साथ उन्हें सनातन में मिला। इस पूरी प्रक्रिया में कोई राजनीतिक मंच नहीं, कोई डर नहीं — सिर्फ आत्मबोध था। ना कोई दबाव, ना कोई सौदा — बस वह इच्छा जो बरसों से भीतर मरी नहीं थी, अब जाग उठी। शिवानी और काजल — ये नाम उन हजारों मुस्लिम महिलाओं के लिए संकेत हैं जो अपने भीतर किसी बदलाव की आग तो महसूस करती हैं, पर समाज, शरीयत और डर की जंजीरों में बंधी रहती हैं।