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हार्टिकल्चर टूरिज्म से पहाड़ों को मिल रही स्वरोजगार की नई पहचान

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नैनीताल/मुक्तेश्वर, उत्तराखण्ड 

उत्तराखंड के नैनीताल जिले का शांत पहाड़ी गांव मुक्तेश्वर अब आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बन रहा है। यहां के किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर अपने फलदार बागानों को पर्यटन से जोड़ रहे हैं। सेब, आड़ू, नाशपाती और खुमानी के पेड़ों से सजी हरियाली अब सिर्फ खेती नहीं, कमाई और संस्कृति के संगम की भूमि बन गई है। गांव के महेश गलिया ने अपने घर को होमस्टे में बदला, बागों को संवारकर पर्यटकों के लिए खोला और आज उनके यहां आने वाले लोग न केवल पहाड़ों की ठंडी हवा और हरियाली का आनंद लेते हैं, बल्कि ताजे फल तोड़ते हैं, जैविक खेती देखते हैं और स्वादिष्ट कुमाऊंनी भोजन भी चखते हैं। यह अनोखा अनुभव उनके लिए यादगार बनता है और महेश जैसे किसानों के लिए आमदनी का साधन। इस प्रयास से न केवल आय बढ़ी है, बल्कि पलायन जैसी समस्या पर भी रोक लगी है। सरकार भी इस बदलाव को प्रोत्साहन दे रही है, सब्सिडी और संसाधन देकर। हार्टिकल्चर टूरिज्म अब उत्तराखंड के गांवों को नई पहचान, नया जीवन और नई दिशा दे रहा है।