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महाराष्ट्र में पुरातत्व विभाग को मिली ‘शेषशयी विष्णु’ की विशाल मूर्ति

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महाराष्ट्र: बुलढाणा जिले के सिंदखेड राजा शहर में पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान ‘शेषशयी विष्णु’ भगवान (शेषनाग पर शयन मुद्रा में) की एक विशाल मूर्ति मिली है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सिंदखेड राजा शहर में खुदाई कर रहा था, तभी ‘शेषशयी विष्णु’ की मूर्ति मिली. मूर्ति में भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुए हैं और देवी लक्ष्मी उनके पैर दबा रही हैं. मूर्ति में समुद्र मंथन को भी दिखाया गया है.

नागपुर के अधीक्षण पुरातत्वविद अरुण मलिक के अनुसार मूर्ति 2.25 मीटर की गहराई में मिली. विशेषज्ञों के एक दल ने लखुजी जाधवराव की छतरी के संरक्षण कार्य के दौरान पत्थर देखा, फिर उन्होंने उस जगह पर और खुदाई की, जिसके बाद मंदिर की नींव तक पहुंचे.

सभा मंडप मिलने के बाद उन्होंने और खुदाई करने का फैसला किया. इस दौरान देवी लक्ष्मी की एक मूर्ति मिली. इसके बाद शेषशयी विष्णु की विशाल मूर्ति मिली, जो 1.70 मीटर लंबी और एक मीटर ऊंची है. मूर्ति के आधार की चौड़ाई संभवत: 30 सेंटीमीटर है. यह क्लोराइट सिस्ट चट्टान से बनी है. ऐसी मूर्तियां दक्षिण भारत (होयसल राजवंश) में बनाई गई थीं.

इस तरह की मूर्तियां पहले मराठावाड़ा में पाई जाती थीं, जो बेसॉल्ट चट्टानों से बनी होती थीं. इसकी विशेषता यह है कि इस पर शेषनाग और समुद्र मंथन के बीच जो कुछ हुआ उसे प्रमुखता से उकेरा गया है.

पिछले दिनों महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के होट्टल गांव में पुरातत्व विभाग को 11वीं सदी के शिव मंदिर का बुनियादी ढांचा मिला था. चालुक्य काल के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध होट्टल में संरक्षण कार्य के दौरान पुरातत्व विभाग को तीन शिलालेख मिले थे, जिसमें उन दानदाताओं का उल्लेख है, जिन्होंने 1070 ई. के आसपास मंदिरों के निर्माण में अपना योगदान दिया था.

राज्य पुरातत्व विभाग के नांदेड़ संभाग के प्रभारी के अनुसार, भगवान शिव के मंदिर का पता लगाने के लिए यहां चार गड्ढे खोदे गए, जिसके बाद मंदिर की बुनियाद मिली है. इसमें शिवलिंग भी था. इसके अलावा बड़ी संख्या में ईंटें भी मिलीं हैं, जिनसे यह पता चलता है कि मंदिर के निर्माण में ईंटों का इस्तेमाल किया गया था.