क्रान्तिवीरा माता विद्यावती देवी कौर जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन
01 जून 1975
भारत के स्वाधीनता संग्राम में हंसते हुए फांसी चढ़ने वाले वीरों में भगतसिंह का नाम प्रमुख है। उन्हीं वीर की माता थीं श्रीमती विद्यावती कौर। इतिहास इस बात का साक्षी है कि देश, धर्म और समाज की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वालों के मन पर ऐसे संस्कार उनकी माताओं ने ही डाले हैं। माता विद्यावती कौर जब भगत सिंह जी पर लिखे एक महाकाव्य के लोकार्पण हेतु उज्जैन आईं थी तब समारोह के पश्चात लोग अर्पित मालाओं से फूल चुनकर घर ले गए, और जहां माता जी बैठीं थीं उस स्थान की धूल को श्रद्धापूर्वक मस्तक से लगाई थी । अनेक माताओं ने अपनी संतानों को उनके चरणों में रख आशीर्वाद यह कामना करते हुए लिया कि वे भी भगत सिंह जैसे वीर बनें।