- 68 तीर्थ और 19 कूपों में से 34 तीर्थ और 19 कूप चिह्नित कर पुराने स्वरूप दिया जा रहा है। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण ने कलियुग में संभल में भगवान कल्कि के अवतरण की भविष्यवाणी की थी
- इस यमतीर्थ पर 1.18 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए 58 लाख रुपये मिल चुके हैं। पालिका क्षेत्र के अन्य तीर्थ और कूप भी इसी योजना के अंतर्गत संवारने का काम किया जाएगा
संभल। संभल में जामा मस्जिद सर्वे रिपोर्ट जमा होने के बाद शासन लगातार वहां के कूपों की सफाई और मरम्मत का काम करा है। संभल के हल्लू सराय स्थति यमतीर्थ को बंधन योजना के अनुसार 1.18 करोड़ रुपये की लागत से इनको संवारा जाएगा। 68 तीर्थ और 19 कूपों में से 34 तीर्थ और 19 कूप चिह्नित कर पुराने स्वरूप दिया जा रहा है। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण ने कलियुग में संभल में भगवान कल्कि के अवतरण की भविष्यवाणी की थी।
संभल के हल्लू सराय में स्थित यमतीर्थ को बंधन योजना के माध्यम से संवारा जाएगा। इस यमतीर्थ पर 1.18 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए 58 लाख रुपये मिल चुके हैं। पालिका क्षेत्र के अन्य तीर्थ और कूप भी इसी योजना के अंतर्गत संवारने का काम किया जाएगा। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि संभल पर्यटन तीर्थ नगरी है।
इसको संवारा जाना है। धार्मिक मान्यता है कि संभल शहर त्रिकोणीय स्थिति में बसा है। जिसके तीनों कोनों पर तीर्थ स्थल बने हैं। शहर और उसके आसपास 68 तीर्थ और 19 कूप हैं। इसमें 34 तीर्थ को चिह्नित कर लिया गया है। 19 कूप भी चिन्हित कर लिए गए हैं। सभी तीर्थ और कूप को संवारा जाएगा।
जिससे ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी पर्यटन का केंद्र बने। बताया कि तीर्थों का पुराना स्वरूप लौटाया जाएगा। इस तरह से कार्य शुरू कराए गए हैं। पुराणों में उल्लेख, कलियुग में भगवान कल्कि का अवतरण संभल में होगा : पुराणों में प्राचीन काल के संभल को संबल कहा गया है। वर्तमान में संभल कहा जाता है।
जानकारों की मानें तो हर युग में संभल का नाम अलग अलग रहा है। कहा जाता है कि सत्यव्रत भी संभल का नाम रहा। पुराणों में उल्लेख है कि कलियुग में भगवान कल्कि का अवतरण होना है। गांव बैनीपुर चक स्थित वंश गोपाल तीर्थ में भगवान कृष्ण ठहरे थे।
वंश गोपाल तीर्थ के महंत भगवत प्रिय महाराज ने बताया कि स्कंद पुराण में उल्लेख है कि जब भगवान कृष्ण वंश गोपाल तीर्थ में स्थित कदंब के वृक्ष के नीचे ठहरे थे तो उन्होंने कहा था कि कलियुग में वह संभल में अवतरित होंगे।
चंदाैसी में बावड़ी से पांच घंटे तक हटाया मलबा
लक्ष्मणगंज में मिली बावड़ी को अस्तित्व में लाने के लिए चल रहा खोदाई का कार्य सर्दी के बढ़ने के साथ शुक्रवार को बंद रहा। हालांकि, नगर पालिका के कुछ ही मजदूर मौके पर पहुंचे और पहली मंजिल पर एक ओर के गलियारे का लिंटर टूटने से इकट्ठा हुआ मलबा उठाने का ही कार्य किया गया। सिर्फ पांच घंटे कार्य करने के बाद काम बंद कर दिया गया।
शुक्रवार को सुबह करीब साढ़े सात बजे बावड़ी की खोदाई के लिए कुल 10-15 मजदूर मौके पर पहुंचे। यहां पहली मंजिल की दायीं ओर के गलियारे का लिंटर टूटने से मलबा उठाया गया। ये कार्य करीब एक बजे तक ही चला। इसके बाद काम बंद कर दिया गया। जबकि कुआं स्थल पर खोदाई नहीं की गई।
शाम चार बजे तक पीएसी तैनात रही। पीएसी के जाने के बाद लोगों ने बावड़ी पहुंचना शुरु कर दिया। अंधेरा होने तक लोग बावड़ी देखने आते रहे। सेनेटरी इंस्पेक्टर प्रियंका सिंह ने बताया कि शुक्रवार को कुछ ही घंटे मलबा उठाने का काम किया गया।