23 मई पुण्य स्मरण कालपी दिवस कालपी का संघर्ष
23 मई भारतीयों क्रांतिकारियों के बलिदान को कोटि-कोटि नमन
1857 के स्वाधीनता संग्राम अंग्रेजों के विरुद्ध एक निर्णायक और ऐतिहासिक युद्ध था। इस युद्ध के प्रमुख केन्द्रों में उत्तर प्रदेश का कालपी नगर भी था, जहाँ यमुना नदी के तट पर स्थित एक दुर्ग में तोपों और हथियारों का निर्माण होता था। कानपुर क्षेत्र में क्रांति के संचालन में इस दुर्ग की बड़ी भूमिका थी।
1857 में रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे और नाना साहब जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों इसी दुर्ग में मंत्रणा करते थे। उन्होंने आम जन-मानस के साथ मिलकर अंग्रेजों को अपनी मातृभूमि से खदेड़ देने के लिए वीरतापूर्वक संघर्ष किया था। इस युद्ध में भयंकर रक्तपात हुआ और हजारों क्रांतिकारी बलिदान हो गए।
यह संग्राम किसी के राज्याभिषेक के लिए नहीं, बल्कि अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने के लिए और अपने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ा गया था। यह दिन हमें उन सभी भारतीयों क्रांतिकारियों के अदम्य साहस, संगठन और देशभक्ति याद दिलाता है जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।